सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के निर्देश पर रोक लगा दी। आयोग ने आरटीई 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता वापस लेने, उनमें पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने और फंडिंग रोकने की सात जून को सिफारिश की थी।
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शीर्ष अदालत ने एनसीपीसीआर के निर्देशों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एनसीपीसीआर के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया है। याचिका में एनसीपीसीआर के निर्देशों और इसके बाद केंद्र व राज्यों द्वारा की जा रही कार्रवाई को संविधान के अनुच्छेद-30 के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों को शिक्षा प्रदान करने के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। कोर्ट ने एनसीपीसीआर और इसके बाद केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई या जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है। पीठ ने मामले में केंद्र, एनसीपीसीआर व सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।