पदोन्नत्ति मामले में उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ द्वारा जनवरी में पारित अंतरिम आदेश का उल्लंघन किया जा रहा था जिसको लेकर याचिकाकर्ता हिमांशु राणा ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद सुरेन्द्र तिवारी के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की है जिसमें उच्च न्यायालय ने सचिव के विरुद्ध नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि सचिव बताएं कि न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है तो उसके लिय आपके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की जाए। मामले की सुनवाई अगले माह नवम्बर में होगी।
ज्ञात हो कि सरकार द्वारा पिछले वर्ष पदोन्नत्ति प्रक्रिया चालू की थी लेकिन NCTE द्वारा न्यूनतम अहर्ता को नज़रंदाज़ किया जा रहा था जिसको लेकर हिमांशु राणा के द्वारा मा० उच्च न्यायालय लखनऊ में याचिका दायर की गई थी जिस पर न्यायालय ने रोक लगाते हुए सरकार और NCTE से जवाब माँगा था लेकिन इसी बीच सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने 21 मई 2024 को आदेश जारी किया जिसमें कम्पॉज़िट विद्यालयाओं के हेड शिक्षकों को जूनियर का सहायक माना जा रहा था।
हिमांशु राणा का कहना है कि NCTE की न्यूनतम अहर्ता के अनुसार अब
किसी भी शिक्षक को एक स्तर से दूरे स्तर तक जाने के लिए उस स्तर का TET उत्तीर्ण करना होगा लेकिन सरकार इस प्रकार मनमाने तरीके से केवल नाम बदलकर शिक्षकों के पदों को खा रही है ताकि भविष्य में सरकार को पदोन्नत्ति न करनी पड़े।
इसी को देखते हुए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की गई है जिसमें सचिव से जवाब माँगा है। राज्य सरकार द्वारा जिले स्तर पर ऐसे विद्यालयों का ब्यौरा लिया जा रहा है जिसमें छात्र संख्या पचास से कम हो।
हिमांशु राणा ने बताया कि अभी केवल ब्यौरा लिया जा रहा है शासन की तरफ़ से जिलों को कोई आदेश या दिशा निर्देश नही दिए गए हैं लेकिन अगर सरकार ऐसा करती है तो इसका पूरजोर विरोध किया जाएगा जिसकी तैयारी चालू कर दी गई है। सरकार इस प्रकार से विद्यालयों को बंद नही कर सकती है ये ग़रीब मज़दूर किसानों के बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा जिसका पूरजोर विरोध समस्त शिक्षकों द्वारा किया जाएगा।