अमरोहा, प्रधानाध्यापक का शव फांसी के फंदे पर लटका देख वहां मौजूद बच्चों की चीख निकल गई। तभी स्कूल पहुंचे एक सहायक अध्यापक ने खिड़की से आफिस के अंदर झांका तो सन्न रह गए। उन्होंने फोन कर स्कूल स्टाफ को घटना की जानकारी दी। वहीं बच्चों के चीखने की आवाज सुनकर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने घटना की जानकारी की। सीओ श्वेताभ भास्कर के अलावा एसडीएम हसनपुर भी मौके पर पहुंचे। फॉरेंसिक टीम की जांच के बाद प्रधानाध्यापक का शव फांसी के फंदे से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
एक अक्तूबर से बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के खुलने का समय बदलकर सुबह नौ बजे का हो गया है। मंगलवार को भी स्कूलों का समय बदल गया था लेकिन इसके बावजूद भी प्रधानाध्यापक संजीव कुमार स्कूल जाने के लिए सुबह साढ़े छह बजे ही घर से निकल गए थे। वह सात बजे स्कूल पहुंचे और फिर ताला खोलकर अंदर गए। ऑफिस के अंदर जाकर सबसे पहले उन्होंने सुसाइड नोट लिखा। जिसमें उन्होंने स्कूल में ही तैनात सहायक अध्यापक व उनकी शिक्षिका पत्नी व बीएसए द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात लिखी। उस पर अपनी मुहर भी उन्होंने लगाई। इसके बाद उन्होंने अपने हाजिरी रजिस्टर पर समय के साथ हस्ताक्षर भी किए। उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर का समय साढ़े सात बजे दर्ज मिला। इसके बाद उन्होंने आफिस को अंदर से बंद किया और स्टूल पर खड़े होकर आफिस की छत में बने लोहे के कुंदे में रस्सी का फंदा बनाते हुए फांसी पर झूल गए। इसी बीच कुछ बच्चे बस्ता लेकर स्कूल पहुंचे। उन्होंने आफिस का दरवाजा खोलने की कोशिश की जो नहीं खुल सका।
इसके बाद बच्चों ने आफिस की खिड़की से झांककर देखा तो उनकी चीख निकल गई। शोर की आवाज सुनकर आसपास लोगों की भीड़ जमा हो गई। इसी बीच सहायक अध्यापक प्रदीप कुमार भी स्कूल पहुंच गए। उन्होंने आफिस की खिड़की से झांककर देखा तो सन्न रह गए। स्टाफ के अन्य लोग भी स्कूल पहुंच गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी को भी आफिस में दाखिल नहीं होने दिया। खिड़की के सरिए काटकर अंदर घुसे पुलिसकर्मियों ने आफिस का दरवाजा खोला। इसके बाद फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाए। पास ही रखे सुसाइड नोट को कब्जे में लेते हुए प्रधानाध्यपक के शव को फांसी के फंदे से उतारा गया।