हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के विश्वविद्यालय और अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के पक्ष में निर्णय दिया है कि जिन शिक्षकों ने 62 वर्ष की उम्र में अवकाश ग्रहण किया है, उन्हें भी ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाएगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने यूनिवर्सिटी कॉलेज रिटायर्ड टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका व अन्य याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया है। न्यायालय ने कहा कि 2009 के संशोधन के बाद शिक्षकों को पेमेंट आफ ग्रेच्युटी एक्ट में ‘कर्मचारी’ के रूप में शामिल किया गया है। उच्चतम न्यायालय के कई निर्णय का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा कि कर्मचारी की परिभाषा में शिक्षक भी शामिल हैं। लिहाजा वे भी ग्रेच्युटी पाने के हकदार हैं।
» कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पारित किया आदेश
न्यायालय ने आगे कहा कि ग्रेच्युटी एक्ट में किए गए संशोधन को लागू किया गया है, लिहाजा विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के शिक्षक भी 3 अप्रैल 1997 से ग्रेच्युटी का लाभ पाने के हकदार हैं, ऐसे शिक्षकों को ग्रेच्युटी लाभ से वंचित करना जिन्होंने अपने विकल्प का प्रयोग किया और विस्तारित अवधि तक सेवा में बने रहे, वे सभी ग्रेच्युटी पाने के हकदार हैं। इसी के साथ न्यायालय ने 30 मार्च 1983 और 4 फरवरी 2004 के शासनादेशों के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें ऐसे शिक्षकों को ग्रेच्युटी से इंकार किया गया था। उक्त शासनादेशों में हायर एजुकेशन के 62 वर्ष की उम्र में रिटायर होने वाले शिक्षकों को ग्रेच्युटी के अधिकार से वंचित कर दिया गया था व इसे 60 वर्ष पर सेवानिवृत्त होने वालों शिक्षकों के लिए ही सीमित किया गया था।