यूपी में 27 हजार बेसिक स्कूलों का अस्तित्व खतरे में ! जानिए क्यों हो रहा ऐसा और क्या है इसकी आवश्यकता


यूपी में 27 हजार बेसिक स्कूलों का अस्तित्व खतरे में ! जानिए क्यों हो रहा ऐसा और क्या है इसकी आवश्यकता



लखनऊ प्रदेश के 27 हजार से अधिक बेसिक स्कूलों का अस्तित्व खतरे में है। ये वे स्कूल हैं जिनमें छात्रों की संख्या 50 से कम है। डीजी स्कूल शिक्षा के निर्देश पर ऐसे स्कूलों के नजदीकी स्कूलों का व्योरा मांगा जा रह है। है। यह निर्देश भी दिए जा रहे हैं कि नजदीकी स्कूल ऐसे हों, जिनके रास्ते में नदी, नाला, रेलवे ट्रैक जैसी कोई बाधा न हो। कुछ बीएसए ने तो विद्यालयों के एकीकरण (मर्जर) का भी जिक्र किया है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि 50 से कम बच्चों वाले स्कूलों को बंद करके उनका मर्जर दूसरे स्कूल में किया जा सकता है।
27,931 स्कूलों में 50 से कम बच्चे : महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने जून में यू-डायस पोर्टल से हर जिले के ऐसे स्कूलों का ब्योरा इकट्ठा किया था, जिनमें छात्र संख्या 50 से कम है। ऐसे स्कूलों की संख्या 27,931 थी। उसके बाद सभी जिलों के बीएसए को यह व्योरा भेजकर स्थिति पर खेद जताया था। साथ ही स्कूलों से इस पर स्पष्टीकरण मांगने के निर्देश दिए थे। अब सभी जिलों के बीएसए डीजी के निर्देश का हवाला देते हुए जिले में 50 से कम बच्चों वाले स्कूलों की लिस्ट भेजकर उनके नजदीकी स्कूलों का ब्योरा मांग रहे हैं। ये ब्योरा मांगा जा रहा: कानपुर देहात के बीएसए ने सभी बीईओ को पत्र लिख जिले के 850 स्कूलों की लिस्ट भेजी है। कहा है कि 50 से कम बच्चों वाले इन स्कूलों के नजदीकी स्कूल चिह्नित करें। इसमें ध्यान रखें कि नजदीकी विद्यालयों का विवरण देते हुए विद्यालय के बीच में कोई राजमार्ग या

रेलवे वाहन न पड़े। लखनऊ के बीएसए ने नजदीकी विद्यालय का ब्योरा भेजने के लिए एक प्रारूप भेजा है। कहा है कि 50 से कम बच्चों वाले स्कूलों के नजदीकी स्कूल की सूचना उपलब्ध करवाएं विद्यालय एकीकरण में इसका विशेष ध्यान रखें कि एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय के बीच में नदी, नाला, नैशनल हाईवे और रेलवे ट्रैक आदि न हो, जिससे किसी प्रकार की कोई अप्रिय स्थित पैदा होने की संभावना न हो। इसके अलावा बाराबंकी सहित अन्य कई जिलों में ऐसा ब्योरा मांगा जा रहा है।


रखा जाए नियमों का ध्यान

नजदीकी स्कूलों का ब्योरा मांगने और एकीकरण की बात से शिक्षकों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि ये स्कूल बंद करके दूसरे विद्यालयों में समायोजित कर दिए जाएंगे। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि जब एकीकरण की बात कही जा रही है और नजदीकी स्कूल की सूचना मांगी जा रही है तो यह आशंका उत्पन्न होगी ही। अधिकारियों को बच्चों की सुविधा का भी ध्यान रखना चाहिए। विद्यालयों की दूरी को लेकर आरटीई और विभाग के नियमों को भी ध्यान में रखना चाहिए। हालांकि, इस बाबत अधिकारी कुछ स्पष्ट नहीं कहने को तैयार है। डीजी स्कूल शिक्षा को मेसेज किया गया तो उन्होंने कहा कि सिर्फ डेटा इकट्ठा करने के लिए जानकारी मांगी है। वहीं, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा





दूरी को लेकर यह है नियम

हर बच्चे को पढ़ने का मौका मिल सके, इसके लिए ही काफी संख्या में स्कूल खोले गए थे। कोशिश यही थी कि किसी बच्चे को घर से ज्यादा दूर न जाना पड़े। आरटीई के अनुसार एक किमी की रेडियस में एक प्राइमरी स्कूल और तीन किमी की रेडियस में एक अपर प्राइमरी स्कूल होना चाहिए।