आरक्षण तय नहीं और कर ली 1894 पदों पर शिक्षकों की भर्ती, अब नियुक्ति फंसी


प्रयागराज। शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही से शिक्षकों की एक और भर्ती फंस गई है। जूनियर एडेड विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के 1894 पदों पर भर्ती की परीक्षा प्रक्रिया विधानसभा चुनाव 2022  से पहले आनन-फानन में पूरी करवा ली गई।



उसके बाद नियुक्ति देने में आरक्षण का पेंच फंस गया। अब  इसके अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए  शिक्षा निदेशालय के चक्कर काट  कर रहे हैं। जूनियर एडेड

विद्यालयों में करीब डेढ़ दशक से भर्ती नहीं हुई थी। उससे पहले इन विद्यालयों के प्रबंधक भर्ती करते थे।

प्रबंधकों के जरिये भर्ती प्रक्रिया विवादित होने के कारण उस पर रोक लगी थी। वर्षों तक भर्ती न होने से तमाम विद्यालय शिक्षक विहीन हो गए। विधानसभा चुनाव 2022 से पहले प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के 1894 पदों पर भर्ती करने के लिए 25 फरवरी 2021 को विज्ञापन जारी हुआ।

परीक्षा नियामक प्राधिकारी के वेबसाइट पर तीन से 17 मार्च 2021 तक ऑनलाइन आवेदन

लिया गया। आवेदन के लिए सिर्फ 15 दिन का समय दिया गया। अमूमन किसी भी भर्ती में आवेदन के लिए कम से कम एक महीने का समय दिया जाता है, लेकिन इसमें जल्दबाजी की गई। महीनेभर बाद ही 18 अप्रैल 2021 को परीक्षा कराई गई।

सात महीने बाद विधानसभा चुनाव से पहले 15 नवंबर 2021 को परिणाम घोषित कर दिया गया। शिक्षक के लिए 150 में से 97 अंक और प्रधानाध्यापक के लिए 200 में से 130 अंक पाने वालों को सफल घोषित कर दिया। इस मानक अनुसार रिक्त 1894 पदों
के 23 गुना 43,610 अभ्यर्थी सफल हो गए। परिणाम जारी होते ही गड़बड़ियों के आरोप लगे और मामला हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने परिणाम संशोधित

करने का आदेश दिया। पीएनपी ने संशोधित परिणाम छह सितंबर 2022 को जारी कर दिया था। उसके खिलाफ भी कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और संशोधित परिणाम के आधार पर चयन करने को कहा। उसके बाद से मामला
शासन में लंबित है। नियुक्ति देने के लिए मेरिट के
अनुसार काउंसलिंग होनी है। इस भर्ती का विज्ञापन जारी करने से पहले आरक्षण निर्धारित नहीं किया गया था। अब तक तय नहीं है कि आरक्षण स्कूल स्तर, जिला स्तर या राज्य स्तर पर लागू किया जाए आरक्षण का निर्धारण शासन से होना है।
आरक्षण के चलते हजारों शिक्षकों की भर्ती पहले से विवादित है। इसलिए इस भर्ती को पूरी करने के लिए विभागीय अधिकारी पहल नहीं कर रहे हैं। मामले को शासन पर टाल रहे हैं। वहीं, परीक्षा उत्तीर्ण करके अभ्यर्थी शिक्षा निदेशालय के बाहर धरने पर बैठे हैं।