इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि मृतक आश्रित कोटा लंबे समय बाद नियुक्ति का वैकल्पिक स्रोत नहीं हो सकता। अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य परिवार को तत्काल राहत प्रदान करना है।
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कोर्ट ने 19 साल बाद दाखिल की गई आश्रित नियुक्ति की अर्जी को रिक्त पद न होने के आधार पर अस्वीकार करने और वाद खारिज करने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।
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मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। याची के पिता हरे कृष्ण चौधरी की सहायक विकास अधिकारी, खादी और ग्रामोद्योग में कार्यरत रहते हुए मृत्यु हो गई थी। याची और उनके तीन बहनों में से बालिग बहन ने पहले अर्जी दी थी, लेकिन पद रिक्त नहीं था। जब याची बालिग हुआ, उसने भी अर्जी दी, लेकिन तीन साल बाद दाखिल करने के कारण नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया।