ढाका, एजेंसी। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरते ही अल्पसंख्यकों की मुश्किलें बढ़ गईं। यहां कट्टरपंथियों ने 49 अल्पसंख्यक शिक्षकों को डराया, धमकाया उनके साथ मारपीट की गई और जबरन उनका इस्तीफा ले लिया। इस देश के संगठन बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद ने इसकी पुष्टि की है।
परिषद ने शनिवार देर शाम एक पत्रकार वार्ता में कहा कि हसीना सरकार के जाने के बाद यहां पांच अगस्त को जो हिंसा शुरू हुई थी, उसके बाद शिक्षक व अल्पसंख्यक समुदाय निशाने पर आया। जो शिक्षक बांग्लादेश के स्कूल, कॉलेज में आवाम को तालीम दे रहे थे, उनको नहीं बख्शा गया। शिक्षण संस्थानों में घुसकर उनको निशाना बनाया गया। उनपर इतना दबाव डाला गया कि वह इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो गए। संगठन के समन्वयक साजिब सरकार ने कहा कि बाद में इनमें से 19 को बहाल कर दिया गया।
स्कूल-कॉलेजों में घुसे उपद्रवी साजिब सरकार ने बताया कि शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद स्थिति तेजी से बिगड़ी। 18 अगस्त को, लगभग 50 छात्रों ने अजीमपुर गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल और कॉलेज में प्रिंसिपल बरुआ के कार्यालय पर धावा बोल दिया और उनसे और दो अन्य शिक्षकों से इस्तीफा देने की मांग की।
कुछ इसी तरह, काजी नजरूल विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन और शासन अध्ययन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर शंजय कुमार मुखर्जी से भी इस्तीफा लिया गया। मुखर्जी ने कहा कि उनसे कहा गया कि वे बहुत कमजोर हो गए हैं इसलिए उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
महिलाओं को भी नहीं बख्शा परिषद ने कहा कि शिक्षकों व आम अल्पसंख्यक लोगों के साथ मारपीट, लूटपाट, धमकी, अपमानित करने जैसी घटनाएं हुईं। अल्पसंख्यक महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। घरों को तोड़फोड़ कर लूटा गया। घरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और हत्या तक कर दी गई।
ओइक्या और बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद की एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, हसीना सरकार जाने के बाद 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले की कम से कम 205 घटनाएं हुईं।
भारत सरकार ने जताया था ऐतराज बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले को लेकर भारत सरकार ने चिंता जताई थी। इसके बाद वहां की अंतरिम सरकार ने आश्वासन दिया था कि वह हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा करेगी। वहां की सरकार ने इसके लिए माफी भी मांगी थी।