दस में छह किताबें अब हिन्दी की ही बिक रहीं

 

पिछले कुछ सालों में हिन्दी की किताबों की लोकप्रियता बढ़ी है। हिन्दी पुस्तकों के लोकार्पण के साथ ऑनलाइन हिन्दी साहित्यिक गोष्ठियां भी होने लगी हैं। बुक शॉप में हिन्दी की पुस्तकों की बिक्री में पचास फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। बिकने वाली दस किताबों में छह हिन्दी की होती हैं।


स्कवायरेट सॉल्यूशन के समीर खान ने बताया कि भारत में लगभग 70 फीसदी इंटरनेट उपयोग करने वाले हिन्दी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। यह भी एक प्रमुख वजह है कि हिन्दी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। शहर के पुस्तक विक्रेता, लेखक और साहित्यिक आयोजनों के आयोजक भी मानते हैं कि शहर में हिन्दी पढ़ने वालों की तादाद में पिछले कुछ सालों में काफी इजाफा हुआ है। जो कि जाहिर है कि हिन्दी के बाजार के लिए अच्छा संकेत है।

बीते वर्षों की तुलना में हिन्दी पुस्तकों की बिक्री बढ़ी, धीरे-धीरे बढ़ रहा पाठकों का रुझान, हिन्दी भाषी युवा जहां-जहां पंहुच रहे, वहां-वहां तेजी से बढ़ रही


संस्कृति को बचाना है तो भाषा को बचाइए

यदि भारतीय संस्कृति का क्षरण रोकना है तो हिंदी को अपनाइए। संस्कृतनिष्ठ हिंदी न केवल सुनने में अच्छी लगती है वरन अन्य भारतीय भाषाओं के बीच सेतु भी बन सकती है। प्रौद्योगिकी और कानून की भाषा भी हिन्दी हो जाए तो समस्याएं स्वत ही समाप्त हो जाएंगी। यहां अन्य भाषाओं के बहिष्कार की बात नही है, अपनी भाषा और संस्कृति को उसका स्थान देने की बात है। अपनी जड़ों से कट कर हम त्रिशंकु की स्थिति को ही प्राप्त कर सकते हैं।


हिन्दी पट्टी के युवाओं की वजह से प्रसार हो रहा

वरिष्ठ कवि मुकुल महान ने कहा कि हिन्दी पहले से बेहतर हुई है। कई गैर हिन्दी राज्यों में हिन्दी पट्टी के युवाओं की वजह से हिन्दी का प्रसार हो रहा है। हिन्दी भाषी युवा जहां-जहां पंहुच रहा है वहां-वहां हिन्दी बढ़ रही है।


राजभाषा का मंच भी तेजी से बढ़ा, आयोजन हो रहे


वरिष्ठ हास्य कवि और स्माइलमैन सर्वेश अस्थाना ने कहा कि हिन्दी का मंच भी तेजी से बढ़ा है। हिन्दी के आयोजन भी तेजी से बढ़े हैं।


पुस्तकों के पाठकों में बेतहाशा वृद्धि हो रही


यूनिवर्सल बुक सेलर्स के पार्टनर गौरव प्रकाश ने बताया कि चार साल में हिन्दी और हिन्दी पुस्तकों के पाठकों में बेतहाशा वृद्धि है। हमें हिन्दी की पुस्तकों की संख्या बढ़ानी पड़ी है। बीते कुछ वर्षों में हिन्दी पुस्तकों की बिक्री पचास प्रतिशत तक बढ़ी है। जो लोग विदेशों में रहते हैं वह भी जब लखनऊ आते हैं तो हिन्दी किताबें खरीदते हैं।


● लेखकों, विक्रेताओं ने माना कि तेजी से फैला है हिन्दी किताबों का दायरा


कवयित्री शिखा श्रीवास्तव ने कहा कि जिन्हें अंग्रेजी अच्छे से आती है वे भी अनुवाद कर हिन्दी में अपनी बात रख रहे हैं। कई भाषाओं से हिन्दी में अनुवाद हो रहा है जो काफी अच्छा संकेत है।