गरीब बच्चों के लिए शुरू की कोचिंग
लखनऊ। डाक विभाग (आरएमएस) कर्मी आशीष सिंह और रिपुदमन कटियार, अतुल सिंह और विनोद राठौर ने इलाके के गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिये सरोजनीनगर के लतीफनगर में मां तारा निशुल्क कोचिंग शुरू की। यहां गरीब परिवार के कक्षा नौ से 12 वीं के बच्चों के लिए अंग्रेजी, मैथ, फिजिक्स और कमेस्ट्री की कक्षाएं संचालित होती हैं। आशीष ने बताया कि सरकारी और निजी स्कूलों के गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाया जाता है। आशीष ने बताया कि ड्यूटी खत्म होने के बाद वो खुद मैथ और फिजिक्स की कक्षाएं चलाते हैं। मौजूदा समय में करीब 70 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। रोज दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे के बीच कक्षाएं चलती हैं। कमजोर बच्चों को अलग से पढ़ाते हैं, ताकि उन्हें भी मुख्य धारा में लाया जा सके। आनंद वर्मा अंग्रेजी और आशुतोष केमिस्ट्री पढ़ाते हैं। सरोजनीगनर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कोचिंग में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर और अन्य पाठ्य सामग्री मुहैया कराने में सहयोग किया है। बाकी का खर्च वे खुद से उठाते हैं।
निशुल्क दाखिले के साथ ट्यूशन भी
लखनऊ। मोहनलालगंज के पुरसैनी निवासी आशीष मिश्रा कस्बे में स्थित इंटर कॉलेज में क्षेत्र के गरीब परिवार के बच्चों से दाखिला का कोई शुल्क नहीं लेते हैं। दोपहर तीन बजे स्कूल बंद होने के बाद आशीष खुद स्कूल परिसर में ही स्कूल के और आसपास के गरीब व कमजोर बच्चों को निशुल्क ट्यूशन देते हैं। बच्चों को बीते दो दशक से ट्यूशन पढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि घर और परिवार में कई सदस्य शिक्षक हैं, लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं की। इलाके के गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बच्चों को घर के नजदीक पढ़ाई मुहैया कराने के लिए मोहनलालगंज में स्कूल की नींव डाली, अब इंटर तक के बच्चे पढ़ते हैं।
पेशे से फोटोग्राफर थीं, बन गईं शिक्षक
एलेक्सिस ग्रेस ने बताया कि शादी से पहले वह पेशेवर फोटोग्राफर थीं। शादी के बाद लखनऊ में खुद को व्यस्त रखने के लिए बच्चों को निशुल्क पढ़ाना शुरू किया। पति अनुज ने सहयोग दिया। घर में एक कमरे में पाठशाला शुरू की। दो वर्ष पहले दो बच्चों से पढ़ाने की शुरूआत की। मौजूदा समय में तीन शिफ्ट में करीब 50 से अधिक बच्चे पढ़ने आते हैं। कई बच्चें अंग्रेजी में बात करने लगे हैं।
पेशे से शिक्षक नहीं, लेकिन शिक्षक से कम भी नहीं। गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उनके जीवन में उजियारा ला रही हैं, अमेरिका के फ्लोरिडा निवासी एलेक्सिस ग्रेस। ग्रेस की कहानी औरों से जुदा है। उन्होंने काकोरी के अनुज रावत से शादी की। पति अनुज सीतापुर में महिला कल्याण विभाग में कार्यरत हैं। एलेक्सिस दिनभर घर में अकेले रहती थी। खाली बैठे समय गुजारना उन्हें कचोटता था। ऐसी स्थिति से बचने के लिए उन्होंने घर में ही पाठशाला खोल ली। गरीब बच्चों को अंग्रेजी विषय पढ़ाने के साथ ही वह उन्हें बातचीत में भी दक्ष बना रही हैं।