Sonebhadra परिषदीय स्कूलों में मिड-डे-मील के लिए रसोई गैस सिलिंडर प्रदान किए गए हैं, लेकिन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के कई स्कूलों में इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। वहां पर भोजन मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी जलाकर तैयार किया जा रहा है।
इस प्रक्रिया के दौरान कक्षाओं में धुआं भरने से बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ रही है, साथ ही धुएं से उनकी आंखों में जलन भी हो रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि विद्यालयों में सिलिंडर नियमित रूप से भरे जा रहे हैं, लेकिन लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल जारी रहना सवाल उठाता है।
बिहार की सीमा पर स्थित नगवां ब्लॉक नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है। शनिवार को प्राथमिक विद्यालय बिछिया गोसा में सुबह 9:30 बजे कोई शिक्षक मौजूद नहीं थे, जबकि बच्चों के भोजन के लिए चूल्हा जलाने की तैयारी चल रही थी।
दो छात्राओं ने बताया कि विद्यालय में भोजन हमेशा लकड़ी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है। ग्रामीण कन्हैया चेरो ने कहा कि उन्हें गैस सिलिंडर का कोई पता नहीं है। ग्रामीण महेंद्र ने भी शिक्षकों की लेटलतीफी की बात की। प्राथमिक विद्यालय लोटा दुआरी का भी यही हाल है, यहां एक दिन भी गैस सिलिंडर का इस्तेमाल नहीं हुआ है। इस विद्यालय में बच्चे मिट्टी के फर्श पर बैठकर पढ़ाई करते हैं।
यहां के हैंडपंप खराब होने के कारण कुएं के पानी का उपयोग किया जा रहा है। प्राथमिक विद्यालय गढ़वान और प्राथमिक विद्यालय बैजनाथ में भी मिड-डे-मील लकड़ी के चूल्हे पर ही बनाया जा रहा है। ग्रामीण भगवान दास, मुन्ना और राजेश्वर ने बताया कि विद्यालय में खाना बनाने के लिए रसोइयों द्वारा हमेशा लकड़ी ही जलाई जाती है, जिससे कमरों में धुआं भर जाता है और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है।