छात्रों के निपुण बनने में नेटवर्क बना बाधा, एप में नहीं हो रही एंट्री


ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की कमी से छात्रों के शब्दों को कैच नहीं कर पा रहा एप



बरेली, मुख्य संवाददाता। छात्रों को निपुण बनाने के अभियान में मोबाइल नेटवर्क बाधा, बन रहा है। नेटवर्क खराब होने के कारण एप पर छात्रों की आवाज तय समय में कैद नहीं हो रही है। निर्धारित समय में एक भी शब्द कम दर्ज होने पर छात्र फेल घोषित कर दिया जा रहा है। शिक्षकों ने अगले • महीने होने वाले निपुण टेस्ट को एप की जगह लिखित परीक्षा के रूप में कराने की मांग की है।

वर्ष 2025-26 तक कक्षा एक से तीन तक के शत प्रतिशत छात्रों को निपुण करने का अभियान चल रहा है। अगले महीने छात्रों के एप के माध्यम से निपुण टेस्ट होने ने हैं। हैं। इसके लिए अभी से प्रैक्टिस चल रही है। निपुण बनने के लिए छात्र का निपुण टेस्ट में पास होना

आवश्यक है। निपुण टेस्ट निपुण लक्ष्य एप के माध्यम से होता है। इस एप से छात्र के पढ़ने की गति का परीक्षण किया जाता है। इसके लिए मोबाइल में एप पाको ऑन कर दिया जाता है। एप पर पेज खुलता है। उस पर काले रंग के शब्द लिखे रहते हैं। छात्र एप के सामने खड़े होकर पढ़ता है। कक्षा दो के छात्र को 45 शब्द प्रति मिनट धारा प्रवाह पढ़ने होते हैं, जबकि कक्षा तीन के छात्र को 60 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ना होता है। जैसे-जैसे छात्र के मुख से शब्द निकलते हैं, वैसे-वैसे ही एप उसको कैच कर लेता है। मोबाइल स्क्रीन पर वो शब्द नीले होते चले जाते हैं। नेटवर्क खराब होने के चलते कई बार छात्र सही शब्द पढ़ देता है मगर एप पर उसका कलर नहीं बदलता है कुछ छात्रों को पढ़ना तो आता है मगर उनके बोलने की स्पीड कुछ कम होती है। इस कारण वो निर्धारित समय-सीमा में अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं कर पाते

हैं। ऐसे में उन्हें फेल कर दिया जाता है। ऐसे में छात्र को फिर से कोशिश करनी होती है। नेटवर्क के चलते फिर भी दिक्कत होती है।



एप से टेस्ट लेना न्यायसंगत नहीं

प्राथमिक शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री केसी पटेल ने कहा कि बच्चे वर्ष भर कापी-किताबों से पढ़ाई करते हैं। ऐसे में एप से टेस्ट लेना न्यायसंगत नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की दिक्कत रहती है। ऐसे में कॉपी-किताबों के माध्यम से ही टेस्ट होना चाहिए।

लिखित परीक्षा है अच्छा विकल्प

यूटा के जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि बच्चों को मोबाइल से प्रैक्टिस का पूरा समय भी नहीं मिल पाता है। सभी छात्रों के बोलने की स्पीड भी एक जैसी नहीं होती है। विभाग को इस बारे में मंथन करना चाहिए। बाहरी शिक्षकों के माध्यम से भी लिखित परीक्षा कराई जा सकती है।