छात्राओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने को राज्य विवि व कॉलेजों में चलेगा टीकाकरण अभियान


लखनऊ। राज्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में छात्राओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। अभियान में छात्राओं के साथ ही नियमित व आउटसोर्सिंग महिला कर्मचारियों को भी संस्थान टीका लगवाएगा। इसके लिए बजट की व्यवस्था विवि-कॉलेज स्वयं करेंगे। इस संबंध में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अपर मुख्य सचिव डॉ. सुधीर एम बोबड़े ने सभी राज्य विवि के कुलपति व संस्थानों के निदेशकों को पत्र भेजा है।



निर्देश में कहा गया है कि किसी भी छात्रा व कर्मचारी से इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। टीकाकरण
की व्यवस्था विवि व कॉलेज अपने निजी स्रोत या सीएसआर से करेंगे। मेडिकल कॉलेज, चिकित्सा विवि व चिकित्सा संस्थानों से समन्वय करते हुए टीकाकरण अभियान को सफल बनाएं। डॉ. बोबड़े ने सभी विवि व संस्थानों से टीकाकरण अभियान की रूपरेखा, संख्या के साथ तैयार कर जल्द उपलब्ध कराने को कहा है।

बता दें, सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए राज्यपाल काफी पहले से अभियान चला रही हैं। कार्यक्रमों में वे जागरूक भी करती रहती हैं। राज्यपाल के प्रयास से अब तक डोनेशन से 11049 लड़कियों व महिलाओं का टीकाकरण कराया जा चुका है।



प्रदेश में 1.21 करोड़ बच्चियों के मुफ्त टीकाकरण का लक्ष्य

प्रदेश में करीब 1.21 करोड़ बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर का टीका देने का लक्ष्य है। इसके लिए राज्य सरकार ने करीब 50 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है। केंद्र सरकार की ओर से इसकी शुरुआत होते ही राज्य में भी टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत लखनऊ एवं बाराबंकी से करने की तैयारी है। सामान्य तौर पर यह टीका करीब चार हजार रुपये में लगता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग यूनिसेफ की मदद से यह टीका सस्ते दर में खरीदेगा।

हर आठ मिनट पर एक महिला की मौत

डॉ. सुशीला यादव के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर एक विशेष ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) और यौन जनित संक्रमण से होता है। सर्वाइकल कैंसर के लक्षण ज्यादा स्पष्ट नहीं होते हैं। आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार इससे देश में हर आठ मिनट में एक महिला की मौत होती है। यूपी में हुए एक सर्वे के मुताबिक यहां 10 में से चार महिलाएं हर साल सर्वाइकल कैंसर के चलते दम तोड़ देती हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता देव कहती हैं 35 से 40 साल के बाद महिलाओं को सालभर में एक बार जांच जरूर करानी चाहिए।