यूपी के चार हजार माध्यमिक स्कूलों में कम्प्यूटर हैं, लैब हैं, फर्नीचर और बाकि जरूरी सभी संसाधन भी हैं लेकिन पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। यह स्थिति हैं प्रदेश भर के उन 4,000 राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की, जहां कम्प्यूटर शिक्षा देने के लिए उसके शिक्षक ही नहीं है।
यह स्थिति एक दो सालों से नहीं बल्कि वर्ष 2015 से है। नतीजा मान्यता और संसाधनों के बावजूद इन स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई पूरी तरह ठप है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस आधुनिक युग में 10 वर्षों से लगातार कंप्यूटर शिक्षा से वंचित स्कूली बच्चों का भविष्य अधर में है। इन स्कूलों में कंप्यूटर की नियमित पढ़ाई हो इसके लिए विभाग व स्कूलों प्रबन्धनों के साथ-साथ शिक्षक संगठनों ने भी इस दौरान खूब पसीना बहाया परन्तु नतीजा सिफर ही रहा।
आईसीटी योजना के तहत शुरू की गई थी कम्प्यूटर शिक्षाः वर्ष 2009 में प्रदेश के 5600 राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक
विद्यालयों में इन्फार्मेशन एण्ड कम्यूनिकेशक टेक्नॉलॉजी (आईसीटी) योजना शुरू की गई थी। केन्द्र के सहयोग से शुरू इस योजना को तीन चरणों में लागू किया जाना था। पहले चरण में 1,500 स्कूलों में लागू किया गया
जबकि 2010 में दूसरे चरण में 2,500 स्कूलों में इसे लागू किया गया। 2015 में योजना का कार्यकाल समाप्त होते ही न तो केन्द्र ने और न ही राज्य सरकार ने इसे आगे बढ़ाया। नतीजा, यह योजना ठप हो गई और संबंधित 4,000 स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई भी बन्द हो गई।
सेवा प्रदाता के माध्यम से रखे गए थे कम्प्यूटर शिक्षक
योजना शुरू होने के दौरान सेवा प्रदाता के माध्यम से दोनों चरणों में कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली की गई थी। इन शिक्षकों ने संबंधित स्कूलों में नियुक्ति के बाद लगातार पांच सालों तक छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर शिक्षा भी प्रदान की लेकिन योजना की समाप्ति के बाद पढ़ाई ठप हो गई। इन स्कूलों में अभी भी कंप्यूटर शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं।
स्कूलों में उपलब्ध कराये गये थे ये सब संसाधन
योजना के तहत सभी 4,000 स्कूलों को प्रति स्कूल 10 कम्प्यूटर, एक सर्वर तथा एक जैनरेटर के अलावा सभी प्रकार के जरूरी फर्नीचर भी उपलब्ध कराये गये थे।