69000 शिक्षक भर्ती में नई मेरिट लिस्ट पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध होगी सुनवाई


नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में नए सिरे से चयन सूची तैयार करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लग गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश में नए सिरे से लिस्ट तैयार करने को फिलहाल टालने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।



ये आदेश प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को सामान्य वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। रवि सक्सेना समेत 52 अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले को रद करने की मांग की है। एक याचिका रोविन सिंह व अन्य की ओर से भी दाखिल की गई है। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ का फैसला पलटते हुए 13 अगस्त को 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट रद कर तीन महीने में नई लिस्ट बनाने का आदेश दिया था।

सोमवार को सुनवाई के दौरान नौकरी पा चुके सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के वकील मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी आदि ने हाई कोर्ट की इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि याची चार वर्षों से नौकरी कर रहे हैं और अब हाई कोर्ट ने नए सिरे से लिस्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं, जो कानूनन ठीक नहीं है। उनका कहना था कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार दो बार लाभ नहीं ले सकते। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के वकीलों ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश बिल्कुल सही है क्योंकि नियम यही है कि अगर
आरक्षित वर्ग का कोई अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी से ज्यादा अंक पाता है तो उसे अनारक्षित वर्ग का माना जाएगा। कोर्ट ने संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद मामले को महत्वपूर्ण माना और याचिकाओं पर नोटिस जारी किया सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों से कहा कि वे अधिकतम सात पृष्ठों की संक्षिप्त लिखित दलीलें दाखिल करें। मामले पर 23 सितंबर को अगली सुनवाई होगी।



• सीजेआइ चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने की सुनवाई

• कोर्ट ने जारी कीं नोटिस, 23 सितंबर को फिर होगी सुनवाई

• हाई कोर्ट ने तीन माह में नई मेरिट बनाने का दिया था आदेश


सामान्य वर्ग के उम्मीदवार रोविन सिंह की याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश का असर है कि चार वर्षों से नौकरी कर रहे सामान्य वर्ग के याचिकाकर्ता जैसे लोगों की नौकरी पर संकट आ गया है। कोर्ट ने इस मानवीय पहल पर ध्यान नहीं दिया। याचिका में कानूनी सवाल उठाते हुए कहा गया है कि असिस्टेंट टीचर रिक्रूटमेंट एग्जाम (एटीआरइ) भर्ती की मुख्य परीक्षा है, इसे सिर्फ क्वालीफाइंग एग्जाम नहीं कहा जा सकता। उनका यह भी कहना था कि आरक्षित वर्ग को रियायत भी एक बार दी जा
सकती है, दो बार नहीं।