69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, पढ़ें विस्तार से

  

यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है जिसने नए सिरे से आरक्षण के प्रावधान के मुताबिक मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद से राज्य में इस फैसले का फायदा और नुकसान उठाने वाले लोग आंदोलन कर रहे हैं।



 हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कुछ कैंडिडेट सुप्रीम कोर्ट गए थे जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट अब 25 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगा। हाईकोर्ट के आदेश से पुराने शिक्षक तनाव में आ गए हैं जबकि दावेदार अभ्यर्थियों की उम्मीद जग गई है।


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में 69 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नये सिरे से मेधा सूची तैयार करने का आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किए जाने के आधार पर जून, 2020 और जनवरी, 2022 में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जारी मेधा सूची को रद्द करते हुए यह फैसला दिया था।


मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया है। पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य की याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य के बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव व अन्य पक्षकारों को भी नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि हम हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा रहे हैं। पीठ ने कहा कि 23 सितंबर से शुरू हो रहे सप्ताह में हम इस मामले में अंतिम सुनवाई करेंगे। 


लिखित नोट दाखिल करें


पीठ ने सभी संबंधित पक्षों के वकीलों से अधिकतम सात पन्नों का अपना-अपना संक्षिप्त लिखित नोट दाखिल करने को कहा है। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने के लिए पेश हुईं। उन्हें भी स्वतंत्र रूप से संक्षिप्त नोट दाखिल करने की अनुमति दे दी है। जबकि अन्य पक्षकारों को नोडल वकील के जरिये नोट पेश करने को कहा है।


हाईकोर्ट ने दिए थे निर्देश

● इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले माह यूपी सरकार को नये सिरे से मेधा सूची तैयार करने का निर्देश दिया था।


● इस फैसले के खिलाफ भर्ती प्रक्रिया में सामान्य वर्ग में चयनित उम्मीदवार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई


● याचिका में कहा गया है कि 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों का प्रतिनिधित्व पर्याप्त है, दोबारा से मेधा सूची जारी करने की जरूरत नहीं है।