लखनऊ।उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले का समाधान अव सुप्रीम कोर्ट से होना है। 23 सितम्बर को देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई से पहले करीव 19 हजार शिक्षकों की धुकधुकी बढ़ी है तो करीव 4000 हजार याचीगणों की निगाहें भी लगी हैं कि फैसले का अंतिम परिणाम से उन्हें लाभ मिलेगा। वह अभी योगी सरकार के मंत्रियों के आवासों के वाहर धरना देकर अपनी वात को उठा रहे हैं। शिक्षक भर्ती का यह मामला करीव 4 वर्ष पुराना है। वेसिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 69 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी की, लेकिन मामला सवजुडिस तव हो गया जव भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण की अनदेशी का आरोप लगा। सरकार को अपनी वात पहुंचाने के लिए भर्ती प्रक्रिया से वाहर हुए आरक्षण समर्थकों ने जिलों से लेकर राज्य मुख्यालय तक खूव संघर्ष किया। कई वार संघर्ष उग्र हो गया तो उन्हें लाठी भी खानी पड़ी। सरकार भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार करती रही तो आरक्षण समर्थकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामला सिंगल बेंच से होकर डवल वेंच में गया। न्यायिक प्रक्रिया में दिन महीने साल गुजरने के वाद आखिर हाईकोर्ट की डवल वेंच से आरक्षण समर्थकों की शिकायत को तथ्य परक मानकर पात्रता नये सिरे से वनाने का आदेश दिया। इस मामले में राज्य सरकार को 3 महीने तक समय भी दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि उन्हें जैसा भी आदेश मिलेगा, वह आगे की प्रक्रिया को शुरू करेंगे।
उधर नये सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने के हाईकोर्ट की डवल वेंच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल पूरे मामले की सुनवाई 23 सितम्बर को तय की है। सीजेआई की वेंच में इस मामले की सुनवाई के पहले सात-सात पेज के लिखित दलीलें मांगी गयी हैं। इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण समर्थकों ने 19 (18988) हजार के करीव पदों पर आरक्षण की अनदेखी से भर्ती के आरोप लगाये हैं। यह सभी सहायक अध्यापक पिछले चार साल से वच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। उनकी धुकधुकी इस लिये वढ़ी है कि नौकरी पाये यह शिक्षक उम्र के एक पड़ाव को पार कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट का स्टे फिलहाल 23 सितम्बर तक के लिए है, अगर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को मेरिट वाला माना तो फिर राज्य सरकार या वेसिक शिक्षक विभाग कठघरे में होगा और तव शर्तियां नयी मेरिट लिस्ट तैयार होगी।