प्रयागराज। प्रदेशभर के 17,616 गरीब मेधावियों की छात्रवृत्ति जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) और प्रधानाचार्यों की लापरवाही से रुकी हुई है। आवेदनों पर वह ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। शुक्रवार को लखनऊ में शिक्षा मंत्रालय के अफसरों ने सभी डीआईओएस की बैठक बुलाई। इसमें कहा गया कि प्रक्रिया को 30 सितंबर तक हर हाल में पूरा कर दें।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के मेधावियों की मदद के लिए एक दशक पहले आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई थी। इस छात्रवृत्ति के लिए सातवीं में 55 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण विद्यार्थी आवेदन करते हैं। इस वर्ष पांच अगस्त से पांच सितंबर तक आवेदन लिए गए। इसकी परीक्षा 10 नवंबर को कराई जाएगी।
इसमें सफल होने वालों को नौवीं से लेकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई तक के लिए प्रति माह एक हजार रुपये छात्रवृत्ति दी जाएगी। हर वर्ष इसमें हजारों बच्चे सफल होते हैं लेकिन
लापरवाही से बच्चों को इसका लाभ नहीं मिलता है। सफल विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति पाने के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (एनएसपी) पर आवेदन करना होता है। जिस विद्यालय में बच्चा पढ़ता है, उसके
आवेदन को वहां के प्रधानाचार्य ऑनलाइन सत्यापित करते हैं। उसके बाद डीआईओएस सत्यापित करते हैं और फिर केंद्र सरकार से छात्रवृत्ति की धनराशि खाते में भेज दी जाती है। डीआईओएस पीएन सिंह ने बताया कि 30 सितंबर सभी आवेदन का सत्यापन कर दिया जाएगा।
डीआईओएस और प्रधानाचार्यों की
किस जिले में कितने मामले लंबित प्रयागराज में डीआईओएस के पास रीन्यू वाले 444 व नए 218 और प्रधानाचार्यों के पास 250 मामले लंबित हैं। डीआईओएस और प्रधानाचार्यों के पास आगरा में क्रमशः 49 और 139, गाजीपुर में 178 और 153, गोरखपुर में 113 और 226, हरदोई में 40 और 202, जौनपुर में 61 मामले लंबित हैं।