दावे बेहिसाब, डेढ़ लाख बच्चे आज भी बिना किताब

 अयोध्या,
सब पढ़ें-सब बढ़े,

शिक्षा है अधिकार हमारा, हर बच्चा होगा शिक्षित तो देश बनेगा विकसित जैसे नारे आपको हर परिषदीय विद्यालयों के दीवारों पर लिखे दिख जाएंगे। इन नारों को हकीकत में बदलने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग में 22 से अधिक योजनाओं का संचालन करोड़ों के बजट से किया जा रहा है। हकीकत यह है कि जिले के परिषदीय विद्यालयों में डेढ़ लाख से अधिक बच्चे बिन किताब के स्कूलों में जा रहे हैं। इसका खुलासा प्रेरणा पोर्टल से हुआ है।

शासन की शीर्ष प्राथमिकता वाले अयोध्या जिले में कुल 1788 परिषदीय विद्यालय नगर समेत सभी 12 खंड शिक्षा क्षेत्रों में चलाए जा रहे हैं। इन परिषदीय विद्यालयों में वर्तमान में 1,60,993 बच्चे
पढ़ाई कर रहे हैं। खुलासा हुआ है कि स्कूल जा रहे इन बच्चों में 1,37,478 नौनिहालों के पास किताबें ही नहीं हैं, जबकि नए शिक्षा सत्र को शुरू हुए चार महीने से अधिक गुजर चुके हैं। प्रेरणा पोर्टल से खुलासा हुआ है कि जिले में मात्र 22, 622 बच्चों के पास ही किताबें पहुंची हैं। वह भी कक्षा एक से से लेकर तीन तक। इतना ही नहीं विभाग ने जुलाई में भी किताबों की आपूर्ति का दावा किया था लेकिन जब प्रेरणा पोर्टल की पड़ताल की गई तो दावों की हकीकत खुल कर सामने आ गई है। यह हाल तब है जब वाराणसी और प्रयागराज के बाद अयोध्या शीर्ष प्राथमिकता में है। इतना ही नहीं यहाँ करीब आठ हजार शिक्षकों के साथ शिक्षा मित्र और 12 खंड शिक्षा अधिकारी व 200 से अधिक एआरपी तैनात हैं फिर भी स्कूलों का संचालन बिना किताबों के किया जा रहा है।


अब विद्यालयों में बांटी गईं किताबों का होगा सत्यापन

परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को निशुल्क किताबें पढ़ने की लिए दी गयी हैं। अब विद्यालयों में बांटी गई किताबों का सत्यापन होगा। इसके लिए बीएसए संतोष कुमार राय ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है। बीईओ विद्यालयों में पहुंचकर सत्यापन करते हुए रिपोर्ट तैयार करेंगे। रिपोर्ट के आधार पर वितरण में किसी भी प्रकार की खामियां मिलने पर संबंधितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।



बीईओ को निर्देशित किया गया है कि परिषदीय विद्यालयों में
पहुंचकर छात्रों से किताबों के वितरण की जानकारी लेंगे। इसके साथ ही पूरी किताबें मिली है कि नहीं। इसकी जानकारी लेते हुए रिपोर्ट तैयार करेंगे। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - संतोष कुमार राय, बीएसए