डीसी-बीईओ में व्हॉट्सएप पर ऑनलाइन वार, इसके लिए शुरू हुआ विवाद

 

मुरादाबाद। बेसिक शिक्षा विभाग के आउट ऑफ स्कूल बच्चों का डेटा फीड करने को लेकर जिला समन्वयक (डीसी) और नगर शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। इस जंग का मैदान बना है खंड शिक्षा अधिकारियों का आधिकारिक व्हॉट्सएप ग्रुप। इस पर जिला समन्वयक ने खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया तो खंड शिक्षा अधिकारियों ने उन्हें मर्यादा में रहकर कार्य करने की नसीहत दी।


घटनाक्रम की शुरुआत व्हॉट्सएप ग्रुप पर शनिवार दोपहर उस समय हुई, जब जिला समन्वयक ने डेटा फीडिंग का कार्य पूर्ण न होने की वजह से खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए अमर्यादित शब्द लिख दिए। इस पर बीईओ ने पूछ लिया कि काम पूरा करने के लिए कार्यालय द्वारा क्या संसाधन दिए गए हैं। तंज कसते हुए लिखा कि देवदूत कब से काम करने लगे।





जिला समन्वयक पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए आरटीई पोर्टल के पासवर्ड और आईडी उपलब्ध न करवाने का सवाल भी उठा दिया। इस पर समन्वयक ने आरटीई की आईडी के लिए बीईओ को प्रार्थनापत्र देने को कहा। इसके साथ ही दो माह और चार नोटिस के बाद भी प्रबंध की मैपिंग न होने का कारण पूछ लिया।


तीनों खंड शिक्षा अधिकारियों में आपसी तालमेल न होने की बात लिखी। इस पर दूसरे खंड शिक्षा अधिकारी ने कहा कि क्या जिला समन्वयक बीईओ के बाॅस हैं और यदि हैं तो स्पष्ट करें। इस पर डीसी ने कार्य कराने के लिए की गई कार्यवाही से अवगत कराने के बाद शब्द वापस लेने की बात लिखी और कहा कि सिर्फ नगर के कारण यही शब्द उन्हें परियोजना निदेशक से सुनने को मिलते हैं।

इस पर बीईओ ने नगर क्षेत्र में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर, क्वालिटी कोऑर्डिनेटर, अकाउंटेंट की जानकारी मांगी तो डीसी ने लिखा कि यह उनका कार्यक्षत्र नहीं है, कार्यालय में पता करें। इस पर बीईओ ने कहा कि हमारे कार्यालय को उपलब्ध डाटा फीडिंग से संबंधित कर्मचारी का नाम बताएं। इसके साथ ही कहा कि उच्चाधिकारी के बारे में लिखे गए अमर्यादित शब्दों की वापसी से बात खत्म नहीं होगी, उसकी जवाबदेही है। इसके साथ ही मर्यादा में रहकर कार्य करने की नसीहत दी।

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इसके लिए शुरू हुआ विवाद

मुरादाबाद जनपद में दस ब्लॉक में 6157 आउट ऑफ स्कूल बच्चे मिले थे। इन बच्चों का दाखिला परिषदीय स्कूलों में करवाया गया है। संबंधित बच्चों के प्रशिक्षण के लिए जिले के 1408 स्कूल में से 1128 स्कूलों को स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया है। इन सेंटर पर संबंधित बच्चों को मैप कर पोर्टल पर विवरण अपलोड किया जाता है, ताकि सरकार की ओर से बच्चों के लिए स्टेशनरी प्रशिक्षण के लिए बजट आवंटित किया जाता है। गत वर्ष करीब सात हजार बच्चों के लिए जनपद को 35 लाख रुपये का बजट मिला था। इस हिसाब से एक बच्चे पर लगभग पांच सौ रुपये का बजट आना है। इसके लिए बच्चों का विवरण अपलोड करने की अंतिम तारीख दस अगस्त थी।

मुरादाबाद जनपद के आठ ब्लॉक से शत-प्रतिशत बच्चों का विवरण अपलोड हो चुका है, लेकिन नगर क्षेत्र में बालकों में 221 में से 184 का डेटा अपलोड हो सका है और 37 बच्चे शेष हैं। वहीं नगर क्षेत्र में 515 बालिकाओं में से अभी तक एक का भी विवरण अपलोड नहीं हो सका है। वहीं छजलैट में 803 में से 802 बच्चों का डेटा दर्ज हो सका है। मामले में बीएसए विमलेश कुमार के अनुसार कई बार निर्देश देने के बाद भी कार्य पूर्ण नहीं किया गया है। यदि कार्य पूर्ण न किए जाने का स्पष्टीकरण तीन दिन में नहीं दिया तो विभागीय कार्यवाही की जाएगी।