सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अपील दायर करने की दी अनुमति
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि पुरानी पेंशन योजना के बारे में केंद्रीय नागरिक सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के संदर्भ में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर उसकी ओर से लगाई गई अंतरिम रोक सभी अर्धसैनिक बलों/केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मचारियों पर लागू रहेगी। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस
संजय कुमार व जस्टिस आर महादेवन प्रसाद की पीठ ने केंद्र सरकार को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति देते हुए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों के एक तय तिथि को सुनवाई के आग्रह को नामंजूर कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि सभी अर्धसैनिक बलों को केंद्र सरकार का सशस्त्र बल मानते हुए उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए।
शीर्ष कोर्ट में सोमवार को संक्षिप्त सुनवाई में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि प्रतिवादी देश के रक्षाबलों से समानता की मांग कर रहे हैं और हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पुरानी पेंशन योजना सभी केंद्रीय सशस्त्र बलों पर लागू होनी चाहिए। वहीं, प्रतिवादियों
की ओर से एडवोकेट अंकुर छिब्बर के एक तय तिथि देने के आग्रह को पीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला इतना अर्जेंट नहीं है। इसकी सुनवाई में समय लगेगा। मामले को फिर सूचीबद्ध करने की बात करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि इसमें 15 सितंबर, 2023 को लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी, हालांकि संबंधित पक्ष जल्द सुनवाई के लिए आवेदन दे सकते हैं।
सभी अर्धसैनिक बल नई पेंशन योजना में
दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी अर्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल मानते हुए इनके कर्मियों को पुरानी पेंशन के दायरे में रखा जाए। सभी अर्धसैनिक बलों में एक जनवरी, 2004 के बाद की सभी नियुक्तियां नई पेंशन योजना के दायरे में आती हैं। सेना, नौसेना व वायुसेना को सशस्त्र बल मानते हुए इससे अलग रखा गया है। हाईकोर्ट के आदेश को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।