इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों के समायोजन और स्थानांतरण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में बेसिक शिक्षा सचिव प्रयागराज को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि पूरी कार्यवाही इतनी जल्दबाजी में क्यों की जा रही है। नीरजा और 50 अन्य अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए या आदेश न्यायमूर्ति एस सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने दिया है।
याचीगण का पक्ष रख रहे हैं अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा ने कोर्ट को बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग में छात्र अध्यापक अनुपात के आधार पर शिक्षकों के जिले के भीतर ही समायोजन की प्रक्रिया चल रही है। कोर्ट को बताया गया की सबसे पहले 30 जून 2024 की स्थिति के अनुसार विद्यालयों में छात्र अध्यापक अनुपात तय किया जाएगा। उसके लिए वास्तविक प्रयास किए जाएंगे तथा इसके आधार पर यह तय होगा कि किस-किस विद्यालय में अध्यापकों की संख्या छात्रों के अनुपात में अधिक है और कहां कम है। इसके बाद उन शिक्षकों की पहचान की जाएगी जिनको समायोजित किया जाना है। यह जिले में उनकी वरिष्ठता के आधार पर तय होगा।
याचियो के अधिवक्ता ने बेसिक शिक्षा सचिव के 31 जुलाई 2024 के पत्र का हवाला देकर कहा कि सारी प्रक्रिया 6 सप्ताह में पूरी करने का निर्णय लिया गया। जिससे पता चलता है कि विद्यालयों में पदों की संख्या तय करने और समायोजित किए जाने वाले अध्यापकों की पहचान के लिए बहुत कम समय दिया गया है। परिषद के अधिवक्ताओं ने कोर्ट से इस मामले में लिखित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए समय की मांग की।
अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टिया सारी कार्यवाही बहुत जल्दबाजी में की जा रही है। इस मामले में मात्र लिखित जानकारी देना पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव प्रयागराज को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। साथ ही अगली सुनवाई तक किसी अध्यापक के स्थानांतरण पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।