लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने किशोरों-बच्चों को सेक्स स्वास्थ्य की दी जाने वाली शिक्षा के मामले में राज्य सरकार से पूछा है कि इसके लिए आम जागरूकता पैदा करने को लेकर क्या किया? कोर्ट ने इसके लिए राज्य सरकार को पूरक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र के अधिवक्ता को भी छह सप्ताह बाद होने वाली अगली सुनवाई पर पक्ष पेश करने को कहा है। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश नैतिक पार्टी की ओर से विनोद कुमार सिंह व एक अन्य द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर दिया।
याचिका में केंद्र सरकार की किशोरावस्था शिक्षा योजना-2005 को पर्याप्त जागरूकता के साथ प्रदेश में लागू करने का आग्रह किया गया है। याचियों के अधिवक्ता चंद्र भूषण पांडेय का कहना था कि 10 से 18
साल की अवस्था में बच्चों में कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। ऐसे में सेक्स स्वास्थ्य और प्रजनन को लेकर उनका सही मार्गदर्शन करने को केंद्र ने किशोरावस्था शिक्षा योजना-2005 को केंद्रीय और राज्यों के स्कूल- कालेजों में प्रभावी ढंग से लागू करने की व्यवस्था की है। इसके बावजूद प्रदेश में यह योजना प्रभावी ढंग से
लागू नहीं की गई। उधर, सरकार की ओर से यह कहते हुए याचिका पर शुरुआती आपत्ति उठाई गई कि राजनीतिक पार्टी इस मामले में जनहित याचिका दाखिल नहीं कर सकती, जिसे कोर्ट ने मामले के तथ्यों के मद्देनजर खारिज कर दिया।