सरकारी विद्यालयों में नामांकन लगातार घटने के प्रमुख कारण..


सरकारी विद्यालयों में नामांकन लगातार घटने के प्रमुख कारण..

1️⃣ प्रदेश में प्रत्येक कक्षा में शिक्षकों का न होना।
2️⃣ गांव में *रोजगार के साधन कम* होने की वजह से कोरोना में गांव वापस आ गए परिवारों का *पुन: शहरों के लिए पलायन* हो जाना।
3️⃣ बगैर मानकों के *निजी विद्यालयों को मान्यता देना* एवं गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय भी बंद न होना। हम बच्चे के *6 साल पूरा होने का इंतजार* करते रह जाते हैं, जबकि प्राइवेट स्कूल वाले पहले ही 4 साल में ही उनका नर्सरी/LKG/UKG में एडमिशन कर लेते हैं।

4️⃣ *सरकारी विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं की कमी होना*—
 -प्रत्येक कक्षा के लिए अलग शिक्षक न होना, और न ही हर कक्षा के लिए अलग कक्षा कक्ष होना।
– *प्रत्येक विद्यालय में एक पूर्णकालिक प्रधानाध्यापक न होना*
– बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सफाई कर्मी न होना, जिससे स्कूलों में गंदगी रहती है, मच्छर आदि रहते हैं, शौचालय तक प्रतिदिन साफ नहीं होते।
– बच्चों की सुरक्षा के लिए चौकीदार न होना।
– स्वच्छ पेयजल के लिए वाटर कूलर / आरओ आदि न होना।
– गर्मी के मौसम में बिजली न आने पर बच्चों से भरी कक्षा में पंखे आदि उपकरण न चल पाना।
– बारिश के मौसम में जल भराव की स्थिति बन जाना और स्कूलों तक पहुँचने के रास्ते खराब हो जाना।
– ज्यादातर स्कूल 20 वर्षों से भी पुराने है, जिनके भवनों में कभी भी कोई दुर्घटना घटित हो सकती है।
5️⃣ *सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पूरे वर्ष गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए रखना।*
6️⃣ समाज में सरकारी स्कूलों और उनके *शिक्षकों की कार्य शैली को विभिन्न संचार के माध्यमों के नकारात्मक रूप में दर्शाना,* जिससे उनका मनोबल गिर रहा है और उनमे भी अपने कार्य के प्रति नकारात्मक भाव पनप रहा है।
7️⃣ *शिक्षकों की पदोन्नति, स्थानांतरण आदि समस्याओं का समय से निस्तारण न होना* जिससे उनकी कार्य शैली भी प्रभावित हो रही है।
8️⃣ सरकार को सोचना चाहिए कि सिर्फ mdm खिलाने, dbt के 1200₹ देने से बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं होगा, उसके लिए शिक्षकों को शिक्षण कार्य करने के लिए समय, माहौल, सुविधाएं, पर्याप्त शिक्षक, देने होंगे.. 
9️⃣ साथ ही यह समझना होगा कि प्राइवेट स्कूलों में बेहतर शैक्षिक व्यवस्था होने का सबसे बड़ा कारण,
वहां प्रिंसिपल को अपने स्कूल को बेहतर बनाने के लिए मैनेजमेंट के द्वारा स्वतंत्र छोड़ा गया होता है, *लेकिन यहाँ तो प्रिंसिपल ही नहीं हैं*, केवल सूचना के आदान प्रदान और गला दबाने के लिए एक अनुभवी शिक्षक को मुफ्त का इंचार्ज बनाकर पकड़ रखा होता है। ☹️
_साभार: एक बेसिक शिक्षक_ 🙏🏼