कर्मचारी को आखिरी मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलता था। कर्मचारी को कोई योगदान नहीं देना पड़ता था। योजना में केवल सरकारी कर्मचारी शामिल थे। डियरनेस रिलीफ (डीआर) का प्रावधान था। यानी हर छह महीने में महंगाई के अनुसार पेंशन बढ़ जाती थी। 20 वर्ष की सेवा पूरी होने पर 50% पूर्ण पेंशन के हकदार होते थे
निवेश के आधार पर पेंशन मिलती थी। सरकारी-निजी सभी कर्मचारियों के लिए है। सरकारी कर्मचारी 10% योगदान, सरकार 14% योगदान देती है। चूंकि एनपीएस का बाजार में निवेश होता था, इसलिए बाजार के फायदे शामिल हैं। रिटायरमेंट के समय कुल जमा का 60% एकमुश्त निकाला जा सकता है। शेष 40% पेंशन के रूप में फिक्स होता है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)
मूल वेतन की 50% पेंशन मिलेगी। 10 वर्ष से अधिक और 25 वर्ष से कम में रिटायर हुए तो आनुपातिक रूप से लाभ मिलेगा। कर्मचारी का योगदान 10% और सरकार का 18.5% होगा। एनपीएस की तरह बाजार से जुड़ा निवेश नहीं होगा, जबकि ओपीएस की तरह डीआर का प्रावधान रहेगा। एनपीएस वाले कर्मचारी भी शामिल हो सकेंगे।
25 साल की सेवा और 50 हजार रु. के मूल वेतन पर गणना
ओपीएस पेंशनः मूल वेतन का 50% यानी 25,000 रुपए डीए फैमेली पेंशनः मूल वेतन का 30% यानी 15,000 रुपए डीए न्यूनतम पेंशनः 9,000 रुपए डीए
यूपीएस पेंशनः मूल वेतन का 50% यानी 25,000 रुपए डीआर फैमेली पेंशनः मूल वेतन का 60% यानी 30,000 रु. डीआर न्यूनतम पेंशनः 10,000 रुपए डीआर
यूपीएस में ग्रैच्युटी में नुकसान
25 साल की नौकरी और 50 हजार रुपए के मूल वेतन पर पुरानी पेंशन स्कीम में ग्रेच्युटी 12,37,500 रुपए बनेगी। जबकि यूनिफाइड पेंशन स्कीम में यह 9,37,500 रुपए होगी।
(जैसा महेंद्र सिंह ठाकुर, महासचिव, आयकर कर्मचारी महासंघ (एमपी सीजी) ने बताया)
यूपीएस बेहतर : पेंशन योजना का खाका तैयार करने वाली समिति के चेयरमैन रहे पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन का कहना है कि एनपीएस की तुलना में यूपीएस 99% तक बेहतर है। इसमें निश्चित पेंशन का विकल्प है।