मऊ। डायरेक्ट बैनफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम के तहत एक माह से अधिक समय हो गया जब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशभर के परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के साथ ही मऊ जिले के भी लगभग आधे पंजीकृत बच्चे यानि 67 हजार बच्चों की यूनीफॉर्म के लिए धनरशि अभिभावकों के खातों में भेजी थी।
यह धनराशि प्रति बच्चा 1200 रुपये भेजी गई है, लेकिन अधिकतर अभिभावक उस राशि को दबाकर बैठ गए हैं। ऐसे में स्कूलों में बच्चे अब भी कुछ पुरानी ड्रेस में तो कुछ बिना यूनीफार्म के पहुंच रहे हैं। जिले में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 1208 परिषदीय विद्यालय संचालित होते हैं। इनमें स्कूलों में कुल 1.24 लाख बच्चों का नामांकन है। विभाग की तरफ से पहले चरण में 67693 हजार बच्चों के अभिभावकों के खाते में डीबीटी की धनराशि भेजी जा चुकी है। टीम ने मंगलवार को स्कूलों में पड़ताल की तो इनमें से 60 फीसदी बच्चे ऐसे मिले जिनके पास यूनिफॉर्म नहीं थी। हालांकि, कई स्कूलों में काफी संख्या में ऐसे बच्चे तो मिले जो पुरानी ड्रेस के कपड़ों में थे, लेकिन नया स्कूली बैग एवं जूते और मोजे उनके पास नहीं थे। अधिकतर बच्चे हवाई एवं टूटी-फुटी चप्पलों में ही स्कूल आए थे। जबकि शासन परिषदीय स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तरह चमकाने के साथ ही बच्चों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है।
57222 बच्चों को नहीं मिली डीबीटी की धनराशि
मऊ। जिले में परिषदीय विद्यालयों में पंजीकृत बच्चों के अभिभावकों के खाते में शत-प्रतिशत डीबीटी की धनराशि अबतक नहीं पहुंची है। 57222 बच्चे यूनीफार्म की धनराशि का अब भी इंतजार कर रहे हैं। इनमें चार हजार बच्चों के अभिभावकों के खाते में तकनीकी समस्या के चलते धनराशि नहीं पहुंची है, जबकि 7865 बच्चों का आधार कार्ड नहीं बना है। वहीं, सात हजार बच्चों ने आधार कार्ड में नाम बदलवा लिया है। जबकि 1178 अभिभावकों ने अपने खाते की एनपीसीआई नहीं कराई है। जिला समन्वयक एमआईएस अवधेश कुमार सिंह ने बताया द्वितीय चरण में 23207 बच्चों का डाटा सत्यापित कर भेज दिया गया है। जबकि तृतीय चरण में 10500 बच्चों के डाटा फीडिंग का कार्य चल रहा है। जल्द शेष बच्चों के अभिभावकों के खाते में डीबीटी की धनराशि भेज दी जाएगी।