69000 भर्ती पर कोर्ट के फैसले को सामान्य वर्ग के चयनित उम्मीदवार द्वारा SC में चुनौती


उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने संबंधी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसके तहत 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है।



इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 13 अगस्त को आदेश पारित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ सामान्य वर्ग के चयनित उम्मीदवार द्वारा चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया कि सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया पारदर्शी थी। चयन प्रक्रिया उत्तर प्रदेश लोक सेवा (एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण) अधिनियम,

1994 और उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक नियमावली 1981 के प्रावधानों के अनुरूप थी, जिसके तहत ओबीसी को 27%, एससी के लिए 21% व एसटी के लिए 2% आरक्षण दिया गया है। याचिकाकर्ता रवि सक्सेना ने याचिका में कहा कि 25 सितम्बर 2018 के शासनादेश के अनुसार दिव्यांगजनों को 4 फीसदी, स्वतंत्रता सेनानी के आश्रितों को 2 फीसदी, पूर्व सैनिकों को 5 फीसदी और महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण भी संबंधित अधिनियम के तहत दिया गया है। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा जारी मेरिट लिस्ट दोबारा तैयार करने की कोई जरूरत नहीं है।