तकनीक के बहुत ज्यादा उपयोग से छात्रों के प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसके बावजूद चार में से सिर्फ एक देश ने स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (जीईएम) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी साझा की है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा प्रकाशित ‘शिक्षा में प्रौद्योगिकी’ रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है। मूल्यांकन डाटा से पता चला है कि मोबाइल के नजदीक होने से छात्रों का ध्यान भटकता है और सीखने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है।
विशेषज्ञों ने बताया, शिक्षा में तकनीक पर बहुत अधिक ध्यान देने का खामियाजा उठाना पड़ता है। स्मार्टफोन सहित अन्य तकनीक का उपयोग कक्षा में केवल तभी किया जाना चाहिए, जब बहुत ज्यादा जरूरी हो। रिपोर्ट में तकनीक के इस्तेमाल को लेकर स्पष्ट उद्देश्यों और सिद्धांतों की मांग की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, मोबाइल पर आने वाला नोटिफिकेशन भी छात्रों का ध्यान भटकाता है। इससे छात्र गैर-विद्यालयी गतिविधियों में लग जाते हैं। गैर-शैक्षणिक गतिविधि में लगने के बाद छात्रों को, जो वे सीख रहे थे, उस पर फिर से ध्यान केंद्रित करने में 20 मिनट तक का समय लग सकता है।
क्या कहती है रिपोर्ट
1. कोरोना महामारी में रातों-रात पूरी शिक्षा प्रणाली के लिए सीखना ऑनलाइन हो गया। कागज की जगह स्क्रीन और पेन की जगह कीबोर्ड ने ले ली। डिजिटल तकनीक अपनाने से शिक्षा और सीखने की क्षमता प्रभावित हुई है।
2. ज्यादा सूचना संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग और छात्रों के प्रदर्शन के बीच नकारात्मक संबंध का पता चलता है। 14 देशों ने माना है कि मोबाइल के पास होने से छात्रों का ध्यान भटकता है।