2017 से एक महिला अनुदेशक के भरोसे चल रहा स्कूल


श्रावस्ती। अच्छी शिक्षा को प्राथमिकता में लेकर सरकार की ओर से परिषदीय स्कूलों में बेहतर भौतिक संसाधनों की व्यवस्था की गई है। निशुल्क शिक्षा के साथ ही बच्चों को मुफ्त किताबें, स्कूल बैग, जूता मोजा व भोजन मुहैया जा रहा है। लेकिन शिक्षकों की कमी बच्चों की शिक्षा में बड़ी बाधा बनी हुई है।


कुछ यही हाल सिरसिया विकास क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय चिल्हरिया का है। यह विद्यालय शिक्षक विहीन है और महज एक महिला अनुदेशक के भरोसे चल रहा है। सात


साल से इस विद्यालय में एक भी नियमित शिक्षक की तैनाती नहीं हुई है। वित्तीय व रखरखाव की व्यवस्था का जिम्मा दूसरे विद्यालय में तैनात शिक्षक पर है जिन्हें इस विद्यालय का प्रभार दिया गया है। वर्ष 2017 में यहां तैनात शिक्षक का स्थानांतरण हो गया था। तब से लेकर आज तक विभाग की ओर से यहां किसी भी शिक्षक की तैनाती नहीं की गई है। विद्यालय में कक्षा छह से आठ तक कुल 163 छात्र छात्राएं नामांकित हैं। महिला अनुदेशक फहमीदा इकबाल इन बच्चों को कैसे सम्हालती हैं यह वहीं जानती हैं। बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आते हैं और खेल कूद कर वापस घर चले जाते हैं।


शिक्षक विहीन इस विद्यालय में बच्चों की शिक्षा चौपट है। लेकिन विभाग की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर दे रही है। लेकिन जब विद्यालय में शिक्षक ही नहीं होंगे तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना कैसे की जा सकती है। विद्यालय में कुल 163 बच्चों का नामांकन है।

अपने बच्चों का प्रवेश कराकर अभिभावन पछता रहे हैं। चिल्हरिया निवासी नजर अली का कहना है कि गांव में ही स्कूल होने के कारण लोगों ने अपने बच्चों का नामांकन विद्यालय में कराया है। लेकिन विद्यालय में एक

भी शिक्षक नहीं है। बच्चे स्कूल जाते हैं

और खेल कूद कर वापस घर आ जाते हैं। उनकी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। वहीं विश्वनाथ विश्वकर्मा कहते हैं कि कला विषय से तैनात अनुदेशक गणित, विज्ञान जैसे कठिन विषय को पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं।

बच्चों को इन विषयों की पढ़ाई नहीं मिल रही है। बीएसए व जिलाधिकारी को इस ओर ध्यान देना चाहिए। यदि बिना शिक्षक ही विद्यालय चलता रहा तो कोई भी अपने बच्चों का नामांकन विद्यालय में नहीं कराएगा। जिन्होंने अपने बच्चों का प्रवेश करा दिया है उन्हें पूरे साल केवल पछतावा होता रहेगा।



गणित, विज्ञान जैसे विषयों की नहीं हो रही पढ़ाई

विद्यालय में तैनात महिला अनुदेशक की नियुक्ति कला विषय से है। कक्षा आठ की पढ़ाई कमोबेश हाईस्कूल स्तर की मानी जाती है। जिसमें अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषय हैं। कला विषय से नियुक्त महिला अनुदेशक इन विषयों को पढ़ाने में कितनी सक्षम होंगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। विभागीय बैठकों में उच्चाधिकारी परिषदीय स्कूलों में अधिक से अधिक बच्चों का नामांकन कराने पर जोर देते हैं। लेकिन जब विद्यालय में पढ़ाई ही नहीं होगी तो अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूलों में कैसे कराएं यह बड़ा सवाल है। वर्ष में ऐसा भी समय आता है जब महिला अनुदेशक बीमार होती हैं। उस दौरान विद्यालय रसोइयों के भरोसे चलता है या फिर विद्यालय बंद रहता है।

 विद्यालय का प्रभार मेरे पास है लेकिन जहां 
मेरी स्थायी तैनाती है वहां मुझे अपने खुद के विद्यालय से समय नहीं मिलता। मेरे स्कूल में भी बच्चों की संख्या अधिक है। महिला अनुदेशक किसी तरह बच्चों को संभालती है।प्रहलाद नारायण, इंचार्ज प्रचानावार्य