एकीकृत पेंशन योजना यानी यूपीएस का लाभ वर्ष 2004 में सेवानिवृत्त हुए केंद्रीय कर्मचारियों को भी मिलेगा। वित्त सचिव डॉ. टीवी सोमनाथन ने कहा कि जो कर्मचारी 2004 से अब तक और आगे 31 मार्च 2025 तक सेवानिवृत्त होंगे, वे भी यूपीएस का लाभ ले सकेंगे। उन्हें एरियर का लाभ भी मिलेगा। जो राशि उन्हें मिल चुकी है, उसे नई गणना के हिसाब से समायोजित किया जाएगा। एरियर के लिए 800 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। यूपीएस के तहत पेंशन के लिए सेवानिवृत्त होने वाले दिन से पिछले 12 महीने के मूल वेतन का औसत निकाला जाएगा.
इसके मासिक औसत का 50 फीसदी बतौर पेंशन दिया जाएगा। इस पर शर्त यह है कि कम से कम 25 साल की नौकरी अनिवार्य होगी। जिनकी नौकरी 25 वर्ष से कम होगी, उनके काम के वर्षों के आधार पर
पेंशन तय की जाएगी, पर किसी की भी पेंशन 10 हजार रुपये से कम नहीं होगी। सरकार ने सुनिश्चित किया है कि यूपीएस के अंतर्गत बढ़ी हुई पेंशन का भार कर्मचारी पर नहीं पड़ेगा।
सोमनाथन ने कहा कि 2004 से अब तक सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों का पूरा रिकॉर्ड है.
अगर पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी यूपीएस अपनाते हैं और नए सिरे से गणना के बाद उनका कोई एरियर बनता है, तो उस पर पीपीएफ की दरों के हिसाब से ब्याज मिलेगा। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामलों में यूपीएस अपनाते हैं, तो 25 साल की सेवा का प्रावधान लागू होगा, लेकिन पेंशन वीआरएस की तारीख से नहीं, बल्कि सुपर एन्यूशन से शुरू होगी
कुछ संगठन असहमत, बोले-
ओपीएस के लिए होगा आंदोलन
यूपीएस का विरोध भी शुरू हो गया है। कुछ कर्मचारी संगठनों ने कहा कि वे पुरानी पेंशन बहाली के लिए फिर से हल्लाबोल की तैयारी में जुट गए हैं। लंबे समय तक ओपीएस बहाली के लिए आंदोलन चलाने वाले नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने कहा, उनकी मांग सेवानिवृत्ति पर 50 फीसदी मूल वेतन और महंगाई राहत के बराबर की थी, न कि पेंशन में योगदान घटाने या बढ़ाने की। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसवी यादव ने कहा कि कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। हम जल्द बैठक कर आगामी रणनीति की घोषणा करेंगे।