निपुण बनने का मानक नहीं पूरा कर पा रहे 1678 विद्यालय

 

अयोध्या, । जनपद के परिषदीय विद्यालयों को निपुण बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शुरू की गई योजना में जिले के 1600 से अधिक विद्यालय मानकों पर खरे नहीं उतर पाए हैं। निपुण विद्यालय बनने के लिए सबसे प्रमुख मानक यह है कि विद्यालय में बच्चों की उपस्थित 75 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। जिले में 1788 परिषदीय विद्यालय हैं, लेकिन इनमें से 1678 विद्यालय ऐसे हैं जो निपुण बनने की श्रेणी में ही नहीं आ रहे हैं।




बताते हैं कि एक कक्षा में 80 बच्चे निपुण होने पर ही स्कूल निपुण घोषित होता है। लेकिन जिले के 1678 विद्यालय निपुण विद्यालय बनाने के लायक इसलिए नहीं पाए गए कि यहां बच्चों की संख्या 75 प्रतिशत भी पूरी नहीं हो पा रही थी। निपुण विद्यालय बनाए जाने की योजना इसी साल शुरू हुई थी। अब इस योजना के तहत मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद मास्टर ट्रेनर सभी एआरपी को प्रशिक्षण दिया। बीएसए संतोष कुमार राय ने बताया कि विद्यालयों को निपुण बनाए जाने की कार्य योजना के तहत ब्लाक स्तरीय समीक्षा में खंड शिक्षा अधिकारी और एआरपी प्रत्येक विद्यालय को निपुण विद्यालय बनाए जाने की समीक्षा करेंगे। प्रत्येक कक्षा के 80 से अधिक बच्चे निपुण पाए जाने पर ही निपुण विद्यालय घोषित किया जाएगा।



क्या है निपुण विद्यालय बनाने का उद्देश्य


समझ और संख्यात्मकता के साथ पढ़ने में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल (निपुण भारत) का उद्देश्य यह है कि देश में प्रत्येक बच्चा अनिवार्य रूप से 2026-27 तक ग्रेड तीन के अंत तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त कर ले। यह मिशन, जिसे समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के तत्वावधान में लॉन्च किया गया है, स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में बच्चों तक पहुंच प्रदान करने और उन्हें स्कूल में बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेगाे साथ ही, शिक्षक क्षमता निर्माण; उच्च गुणवत्ता और विविध छात्र और शिक्षक संसाधनों / शिक्षण सामग्री का विकास; और सीखने के परिणामों को प्राप्त करने में प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर भी नजर रखेगा ।