नीट-यूजी रद्द नहीं होगा, नतीजे दोबारा जारी होंगे: सुप्रीम कोर्ट


दोबारा नहीं होगी NEET UG परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, कहा- खामी के पर्याप्त सबूत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दोबारा नीट कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि पेपर लीक हुआ, लेकिन इसके साक्ष्य नहीं है कि इसका दायरा व्यापक था। वहीं, परीक्षा में परमाणु से संबंधित एक सवाल के सही जवाब को लेकर आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए अदालत ने संशोधित परिणाम जारी करने के आदेश दिए।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद आंकड़े पेपर केै व्यवस्थित लीक होने का संकेत नहीं देते। ऐसे में दोबारा नीट का आदेश देना उचित नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने पेपर लीक और अनियमितता के आरोप में नीट-यूजी दोबारा आयोजित कराने की मांग को लेकर दाखिल करीब 40 याचिकाओं पर यह फैसला दिया है।

हजारीबाग और पटना में पेपर लीक हुआ : शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि नीट यूजी 2024 का पेपर झारखंड के हजारीबाग और बिहार के पटना में लीक हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर हमने 4 दिनों से अधिक समय तक सभी पक्षों, यहां तक कि मामले की जांच कर रही सीबीआई के संयुक्त निदेशक के पक्ष को भी विस्तार से सुना। मामले की जांच अपने पास स्थानांतरित किए जाने के बाद से सीबीआई ने अब तक छह रिपोर्टें पेश की हैं।

दाखिले के बाद भी दागी छात्र बख्शे नहीं जाएंगे: सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह के कदाचार के जरिए दाखिला लेने वाले छात्रों पर कार्रवाई करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि आगे की जांच में लाभार्थियों की संख्या बढ़ती है तो काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद ऐसे किसी भी छात्र पर कार्रवाई की जाएगी। पीठ ने कहा कि दागी छात्रों को बेदाग छात्रों से आसानी से अलग किया जा सकता है।

विकल्प-4 सही उत्तर : सुप्रीम कोर्ट ने नीट में परमाणु से संबंधित एक सवाल के सही उत्तर को लेकर आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों की रिपोर्ट स्वीकार कर ली। विशेषज्ञों ने विकल्प-4 को सही उत्तर बताया है। शीर्ष अदालत के आदेश पर आईआईटी ने तीन विशेषज्ञों की टीम का गठन किया था। अदालत ने एनटीए को विकल्प-4 को सही उत्तर मानते हुए संशोधित परिणाम जारी करने का आदेश दिया। इससे 4.22 लाख छात्रों के परिणाम प्रभावित होंगे।


सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने क्या कहा
1. दोबारा परीक्षा कराने से 23 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

2. मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश कार्यक्रम पूरी तरह से बिगड़ जाएगा।

3. चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम पर प्रभाव भी पड़ेगा।

4. भविष्य में चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ेगा।

5. नए सिरे से परीक्षा आयोजित कराने के लिए एनटीए को आदेश देने की मांग की गई।

6. याचिकाओं में परीक्षा के संचालन की प्रक्रिया में भी खामी होने का आरोप लगाया गया।

155 छात्रों को लाभ हुआ
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है। सीबीआई ने संकेत दिया कि अब तक जमा साक्ष्यों से पता चलता है कि हजारीबाग और पटना के केंद्रों से चुने गए 155 छात्रों को पेपर लीक या धोखाधड़ी का लाभ हुआ है।