पेंशन स्कीम: बच्चों के नाम से एनपीएस खाता खुलेगा, ऐसे खोल पाएंगे

 

अब बच्चों के नाम से भी एनपीएस खाता खोला जा सकेगा। बजट में एनपीएस-वात्सल्य नामक नई योजना शुरू करने का ऐलान किया गया है। यह योजना 18 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के लिए होगी।



माता पिता कर सकेंगे योगदान इस पेंशन योजना में माता-पिता और अभिभावक अंशदान करेंगे। बच्चे के वयस्क होने पर एनपीएस -वात्सल्य खाते को सहज रूप से सामान्य एनपीएस खाते में बदला जा सकेगा। यह योजना उन अभिभावकों के लिए है, जो निवेश कर अपने बच्चे के भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित रखना चाहते हैं और इसके लिए किसी खास योजना में निवेश करने का विचार बना रहे हैं।


गौरतलब है कि साल 2004 में एनपीएस को केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू किया गया था। बाद में 2009 में इसे सभी श्रेणी के लोगों के लिए खोल दिया गया।

क्या है एनपीएस

एनपीएस एक टैक्स सेविंग स्कीम है। इस योजना के मुताबिक 18 से 60 साल के बीच कोई भी व्यक्ति अपना एनपीएस खाता देश के किसी भी बैंक में खोल सकता है। पेंशन नियामक प्राधिकरण पीएफआरडीए इस योजना का संचालन करता है।


हर साल निवेश जरूरी


इस योजना में दो तरह के खाते खुलते हैं। टियर-1 में 500 रुपये और टियर-2 में 1000 का निवेश करना होता है। एनपीएस एक नियमित निवेश योजना है। इसमें हर साल योगदान करना अनिवार्य है।

ऐसे खोल पाएंगे

● सबसे पहले eNPS की वेबसाइट पर जाना होगा। रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करना होगा।


● आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर आदि जानकारी साझाकरनी होगी।


● एक ओटीपी आएगा, जिसे भरनेके बाद अन्य जानकारी मांगी जाएगी। इससे प्रक्रिया पूरी होगी।


● एनपीएस खाते को किसी भी सरकारी या गैर सरकारी बैंक से भी खुलवाया जा सकता है।


निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए कटौती की सीमा बढ़ी

बजट में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में बड़ी राहत दी गई है। सरकार ने एनपीएस में नियोक्ताओं के योगदान के लिए कटौती की सीमा को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया। यह बदलाव नई कर व्यवस्था के अंतर्गत सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की कंपनियों पर लागू होगा। पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए ने सरकार से इसकी सिफारिश की थी। उसका कहना था कि एनपीएस में योगदान देने वाली कंपनियों और नियोक्ताओं के लिए समान अवसर होने चाहिए। एनपीएस में मूल वेतन और महंगाई भत्ते पर 10 प्रतिशत की कटौती की जाती है, जबकि ईपीएफओ के मामले में यह 12 फीसदी और सरकारी कर्मचारियों के मामले में यह सीमा 14 फीसदी है।