हाईकोर्ट को नीतिगत मामलों में दखल का अधिकार नहीं



लखनऊ,।हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक निर्णय में कहा है कि वह ऐसा आदेश आदेश नहीं दे सकती कि केंद्र व राज्य सरकार एससी, एसटी, ओबीसी या अल्पसंख्यक होने के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर लोगों को सरकारी येाजनाओं का लाभ दें। न्यायालय ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। न्यायालय ने आगे कहा कि यदि याची चाहें तो समस्त दस्तावेजों के साथ वे अपनी बात सरकार या फिर सांसद-विधायकों के समक्ष रख सकते हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कोर्ट के हाथ नीतिगत मामलों में बंधे होते हैं और यह क्षेत्राधिकार विधायिका अथवा कार्यपालिका को ही प्राप्त है।

यह निर्णय न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने सत्य नारायण शुक्ला व अन्य की ओर से वर्ष 2018 में दाखिल जनहित याचिका पर शुक्रवार को पारित किया। याचिका में मांग की गयी थी कि जाति या धर्म के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत प्रदत्त समानता के अधिकार का सरासर उल्लंघन है लिहाजा सम्बंधित सरकारों को आदेश दिया जाए कि मात्र आर्थिक आधार पर ही लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करें। वहीं याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि सरकार ने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर लोगों के लिए कई येाजनाएं चलाई हैं।