का बोझ कम करने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने अब बच्चों को बिना बस्ते के भी साल में दस दिन स्कूल आने की पहल की है। मंत्रालय ने सोमवार को इसे लेकर एक दिशा- निर्देश भी जारी कर दिया है। इसमें छठवीं से आठवीं कक्षा के बच्चों को साल में दस दिन पढ़ाई के अतिरिक्त व्यक्तित्व और कौशल विकास से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। बच्चों को साल में ये दस दिन स्कूल अपनी सुविधा को देखते हुए पांच पांच दिन के दो चरणों में मुहैया
कराएंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल के चार साल पूरे होने के मौके पर शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। इसका उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई के बोझ से राहत देना है। उन्हें सेना और पुलिस कार्यालयों को
दिखाने, स्थानीय उद्योगों का भ्रमण कराने, स्किल से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ने, किसी ऐतिहासिक स्थल, वन्यजीव अभयारण्य आदि का भ्रमण कराने जैसे सुझाव भी दिए गए हैं। मंत्रालय ने समाज के साथ जुड़ाव को बढ़ाने के लिए उन्हें अपने आसपास के क्षेत्रों में सर्वे करने, लोगों की समस्याओं की पहचान कर उनकी जीवनशैली से जुड़ी खूबियों को सामने लाना शामिल है। इसके साथ ही बुजुर्गों और अपने अभिभावक का इंटरव्यू भी करने जैसी करीब 33 गतिविधियों से जोड़ने की सिफारिश की गई है।
गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी बच्चों के लिए साल में बगैर बस्ते के दस दिन सृजित करने की सिफारिश की गई थी। मंत्रालय इससे पहले बच्चों के ऊपर से पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए उनके बस्ते का बोझ भी कम कर दिया था। इसे लेकर राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।
मिलेगी कस्थिर की सही राहः बच्चों को अब अपने करियर के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पढ़ाई के दौरान बच्चों में करियर को लेकर देखे जाने वाले भटकाव को खत्म करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने एक
अहम पहल की है। जिसमें अब उन्हें स्कूली स्तर पर ही करियर से जुड़ी सारी जानकारी मुहैया कराई जाएगी। यानी वह किस कोर्स की पढ़ाई कर किस क्षेत्र में जा सकेंगे और वहां उन्हें किस तरह की नौकरी मिलेगी। शिक्षा मंत्रालय ने एनईपी के चार साल पूरे होने के मौके पर बच्चों के करियर से जुड़ा एक दिशा- निर्देश जारी किया है। जिसमें करियर से जुड़े पांच सौ करियर कार्ड तैयार किए गए हैं। प्रत्येक कार्ड में बताया गया है कि किस विषय की पढ़ाई करने पर उनके लिए कौन-कौन से विकल्प खुलेंगे। कौन-कौन सी नौकरियां हासिल कर सकेंगे। वह इन नौकरियों के जरिये किसी ऊंचाई को छू सकेंगे। मंत्रालय के अनुसार, यह पहल स्कूल स्तर से ही काउंसलिंग का काम करेगी। वह अपने जीवन की राह आसानी से चुन सकेंगे।