लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइयों और सहायिका की अन्य आय को बढ़ाने पर फोकस कर रही है। इससे पहले सपा के राजेंद्र प्रसाद चौधरी के सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि इनका मानदेय बढ़ाने को लेकर फिलहाल कोई विचार नहीं है। वर्तमान में दिया जाने वाला भुगतान मानदेय आधारित है और न्यूनतम मजदूरी भुगतान के नियमों के दायरे में नहीं आता है।
सीएम ने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 तक सपा सरकार थी। तब रसोइयों का मानदेय 500 रुपये से भी कम था। आपने दूसरा अन्याय ये किया कि जिनके बच्चे नहीं पढ़ेंगे, उनको सेवा से हटा दिया जाएगा। उनके चयन में भी भेदभाव करते थे। हमारी सरकार ने 2022 में उनके मानदेय को न्यूनतम 2 हजार रुपये किया। इन सभी ने कोरोना काल में अपनी सेवाओं से शासन की योजनाओं को प्रत्येक परिवार तक
पंचायत सचिवालय बनाने का उद्देश्य गांवों को स्वावलंबी बनाना
पहुंचाने का अभिनंदनीय काम किया है। हमने इनके मानदेय में वृद्धि भी की है और इन्हें टैबलेट से आच्छादित कर अतिरिक्त आय का प्रावधान भी किया है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत सचिवालय बनाने का उद्देश्य है कि गांवों को स्वावलंबी बनाना है। वहां पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में पंचायत सहायक रखा गया है। बीसी सखी रखी गई है, जो गांव में बैंकिंग लेनदेन का कार्य करती है।
सरकार ने 6 महीने के लिए उन्हें एक निश्चित मानदेय के साथ जोड़ा, लेकिन अब बैंक से कमीशन के तौर पर अच्छी आय अर्जित कर रही हैं। सुल्तानपुर की एक बीसी सखी अब तक 15.50 लाख रुपए से अधिक का कमीशन प्राप्त कर चुकी है। जाति, आय व निवास प्रमाण पत्र, खतौनी की नकल और अन्य सभी योजनाओं की ऑनलाइन सर्विस देकर अतिरिक्त आय कर रहे हैं।