प्रयागराज। बेसिक अध्यापकों को टैबलेट देकर जिम्मेदार लोग अपने जिम्मेदारियों से बचना चाहते है जबकि विद्यालय में अभी भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। आज भी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चे टाटपट्टी पर बैठने को मजबूर हैं। विद्यालयों में सभी विषयों के पर्याप्त शिक्षक नहीं हैत्अध्यापक को ही बीएलओ कार्य, बाल गणना,
एमडीएम का संचालन, जनगणना आदि का कार्य भी इन्हीं के कंधे पर है। आज पिछड़े जनपद जैसे गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर आदि जनपदों में अभी भी विद्यालय पहुंचने के लिए सुगम रास्ते तक नहीं है। अधिकतर विद्यालयों में बिजली पानी जैसी सुविधाएं तक नहीं हैत जिम्मेदार लोग शिक्षकों की कमियों को दिखाकर सरकार को भी गुमराह कर रहे हैं। बेसिक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र यादव ने बताया कि यूपी के सरकारी स्कूलों
एमडीएम का संचालन, जनगणना आदि का कार्य भी इन्हीं के कंधे पर है। आज पिछड़े जनपद जैसे गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर आदि जनपदों में अभी भी विद्यालय पहुंचने के लिए सुगम रास्ते तक नहीं है। अधिकतर विद्यालयों में बिजली पानी जैसी सुविधाएं तक नहीं हैत जिम्मेदार लोग शिक्षकों की कमियों को दिखाकर सरकार को भी गुमराह कर रहे हैं। बेसिक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र यादव ने बताया कि यूपी के सरकारी स्कूलों
में आवासीय सुविधा नहीं है। शिक्षकों को दूर-दूर से बस आदि साधनों से जाना पड़ता है। प्रदेश के बहुत सारे विद्यालय पहाड़ों, जंगलों जैसे बीहड़ स्थानों पर स्थित हैं और स्कूल तक पहुँचने के लिए सुगम रास्ते तक नहीं है। जहां पर आवागमन का कोई भी साधन नहीं है.
कई विद्यालय में जाने के लिए नदियां नाला पार करने के लिए नाव
का सहारा लेना पड़ता है। स्कूल जाते समय अगर किसी शिक्षक का साधन खराब हो गया या रेलवे फाटक बंद हो गया या किसी का एक्सीडेंट हो गया तो इस स्थिति में डिजिटल हाजिरी का पालन शिक्षक कैसे कर सकता है! यह आदेश शिक्षकों को सिर्फ जानबूझकर कर परेशान करने
करने का खड्यंत्र है। इससे समाज में शिक्षको के प्रति गलत संदेश जा रहा हैं। अब तक शिक्षक सगठनों और अधिकारियो के बीच में कई बार शिक्षक समस्याओं को लेकर बैठक हुई। लेकिन किसी भी समस्या का हल नहीं हुआ सिर्फ आदेश पर आदेश दिए जा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र यादव ने कहा कि जिस दिन यह आदेश अध्यपकों पर जबरन थोपा गया उसी दिन से अध्यापक के जल्दबाजी में कईयों की जान जा सकती है, तब इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। संघ की मांग हैं कि सबसे पहले शिक्षको को उनके घर के नजदीक विद्यालयों में ट्रांसफर किया जाए और अध्यापकों को 40 इएल और 15 हाफ सीएल की दी जाय और विशेष परिस्थिति मे 40 मिनट में पहुंचने की छुट दी जानी चाहीए। अगर समस्याओं का हल नहीं हुआ तो माननीय मुख्यमंत्री जी से संघ मिलकर समस्याओ से अवगत कराएँगे।