शिक्षकों के मामले में 2018 में हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी सरकार की- 'अंत में आओ, पहले जाओ' तबादला नीति, लेकिन फिर इसबार वही!




 लखनऊ। शिक्षकों के इस बार वर्ष 2024 में अंत: जनपदीय स्थानांतरण / समायोजन में कनिष्ठ शिक्षक / शिक्षिकाओं का तबादला करने की नीति जारी की. जिससे कनिष्ठ शिक्षक कोर्ट जाने की तैयारी कर रहें हैं. समायोजन की प्रक्रिया 02 जुलाई से प्रारम्भ करने का आदेश भी जारी किया जा चुका है. हम आपको जानकारी बता दें कि विगत वर्ष 2018 में 
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जूनियर एवं सीनियर बेसिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई 'अंत में आओ, पहले जाओ' स्थानांतरण नीति को रद कर दिया था.  


यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने सैकड़ों शिक्षकों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया था.  याचीगण वर्ष 2015, 2016 और 2017 में पोस्टेड हुए थे। याचियों की ओर से कहा गया था कि 20 जुलाई, 2018 के शासनादेश द्वारा सहायक अध्यापकों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी जारी की गई है. इसकी शर्त संख्या 2(2)(1) व 2(3)(4) में 'लास्ट इन, फस्र्ट आउट' व अध्यापकों और छात्रों का अनुपात निर्धारित किया गया। 



इस नीति के कानूनी पहलू पर याचियों की ओर से वरिष्ठ वकील एचजीएस परिहार का तर्क था कि इस पॉलिसी के तहत यदि अध्यापकों की संख्या किसी संस्थान में अनुपात से अधिक हो जाती है तो जो अध्यापक संस्थान में लम्बे समय से तैनात हैं, वह वहीं तैनात रहेगा और बाद में प्रमोशन से जाने वाले का दूसरे संस्थान तबादला कर दिया जाएगा। इसका बड़ा नुकसान जूनियर शिक्षकों को होगा। 
इस पर कोर्ट ने सरकार की वर्ष 2018 की पूरी पॉलिसी रद्द कर दी. 

वही काम इस बार भी सरकार ने अपनी 2024 की तबादला नीति में किया. अभ्यर्थी कोर्ट जाने की पुन : तैयारी कर रहें हैं. 

मामला एक जैसा ही है इसलिए शिक्षकों को उम्मीद है कि कोर्ट में उनकी जीत निश्चित है.