हाई कोर्ट ने एक जिले से दूसरे जिले में स्वेच्छा से स्थानांतरण कराकर आए प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों को वेतन सुरक्षा (पे-प्रोटेक्शन) का लाभ देने से इन्कार कर दिया है। कहा कि किसी को भी एक साथ 'हाट एंड कोल्ड' खेलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने याचियों को चयनित वेतनमान व प्रोन्नति देने संबंधी एकलपीठ का आदेश रद कर नए सिरे से याचिका तय करने का
निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज व अन्य की तरफ से दाखिल विशेष अपील मंजूर करते हुए दिया है।
अंतरजनपदीय तबादला नीति के अंतर्गत याची अध्यापकों ने इस शर्त
पर तबादला लिया था कि वे प्रोन्नति नहीं लेंगे और सहायक अध्यापक के निचले पायदान पर कार्य करेंगे। बाद में याचियों ने अन्य अध्यापकों के बराबर वेतनमान की यह कहते हुए मांग की कि उन्हें समान स्थिति के अध्यापकों से कम वेतन दिया जा रहा है और पदोन्नति नहीं दी जा रही है। अध्यापकों की याचिका पर एकलपीठ ने उनकी मांग स्वीकार कर वो राहत भी प्रदान करने का आदेश दिया, जिसे वे नहीं पा सकते थे।