अब एक साल में दो बार होंगे कॉलेज एडमिशन, यूजीसी ने दी मंजूरी


देशभर के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक सत्र 2024-25 से साल में दो बार दाखिले का मौका मिलेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विदेशी विश्वविद्यालयों की तर्ज पर इस योजना को मंजूरी दे दी। इसका सबसे ज्यादा फायदा उन छात्रों को मिलेगा जो बोर्ड परीक्षा के नतीजों में देरी या स्वास्थ्य आदि कारणों से समय पर दाखिला नहीं ले पाते।


नई व्यवस्था से छात्र जनवरी-फरवरी सत्र के दौरान भी दाखिला ले सकेंगे। इससे प्रवेश से चूके छात्रों का पूरा साल बर्बाद नहीं होगा। अभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया जुलाई अगस्त में शुरू होती है। यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार ने मंगलवार को उच्च शिक्षा क्षेत्र में इस बड़े बदलाव की जानकारी दी। उन्होंने कहा, विदेशी विश्वविद्यालयों में साल में दो बार दाखिला होता। भारतीय संस्थानों में भी ऐसी प्रवेश प्रक्रिया लागू होने से उच्च शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले बच्चों को विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ तारतम्य बनाने में आसानी होगी। वहीं, विदेशी छात्रों को भारत आकर दाखिला लेने में आसानी होगी। यूजीसी ने 2023 में ही भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों को मिलकर पाठ्यक्रम चलाने की मंजूरी दी थी।


छात्रों का रुझान देख लिया फैसला
नियमित कक्षाओं में इसे लागू करने का फैसला ऑनलाइन और ओडीएल (ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग) मोड में दो सत्रों वाली योजना के प्रति छात्रों के रुझान को देखते हुए किया गया। यूजीसी के मुताबिक जुलाई 2022 सत्र में ऑनलाइन और ओडीएल मोड से दाखिला लेने वाले कुल छात्र 19.73 लाख थे। जनवरी, 2023 सत्र में 4.28 लाख छात्रों ने दाखिला लिया था। नई योजना से आईआईटी की तर्ज पर दो बार कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट के लिए आ सकेंगी।



सीयूईटी सिर्फ केंद्रीय विवि के लिए अनिवार्य

इस योजना का सबसे अधिक लाभ राज्यों के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को होगा। दरअसल, केंद्रीय विश्वविद्यालयों को छोड़कर अन्य विवि स्नातक दाखिले के लिए अपनी दाखिला प्रवेश परीक्षा या अन्य योजना से सीट दे सकते हैं। इसलिए जनवरी सत्र में भी इनमें दाखिले का मौका मिल सकेगा। वर्ष 2024 में सीयूईटी यूजी 2024 की मेरिट से 261 विश्वविद्यालयों ने स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले को मंजूरी दी है।

प्रो. कुमार ने बताया कि साल में दो बार दाखिले अनिवार्य नहीं का नियम अनिवार्य नहीं होगा। हालांकि, इसे लागू करने से पहले विश्वविद्यालयों को अपनी अकादमिक और कार्यकारी परिषद से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। इसके बाद उन्हें यूजीसी को शिक्षकों और इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी देनी होगी।