निधि की 18वीं किस्त नई व्यवस्था के तहत किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। शासन ने इसके लिए किसान रजिस्ट्री अनिवार्य कर दी है। 30 सितंबर तक किसान रजिस्ट्री में अनिवार्य रूप से शामिल होना होगा। शासन के आदेश के बाद राजस्व और कृषि विभाग इसे अंतिम रूप देने में जुट गया है। यह एक बुनियादी रजिस्ट्री होगी। जिसमें किसानों का पूरा विवरण दर्ज होगा। किसान रजिस्ट्री, किसानों का डिजिटल डाटाबेस होगा। इसमें किसान की यूनिक आईडी बनाई जाएगी। इसके लिए खसरा खतौनी में दर्ज अभिलेख का उपयोग किया जाएगा।
नई व्यवस्था के अनुसार यदि कोई किसान या उसका परिवार किसान रजिस्ट्री अभियान के तहत अपना नाम दर्ज नहीं कराता है तो उसे भविष्य में पीएम किसान
सम्मान निधि की किस्त सहित अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। यही नहीं एक बार डाटा तैयार होने
के बाद भविष्य किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए अलग से सत्यापन नहीं कराना होगा।
शासन और किसान दोनों का फायदा
किसान रजिस्ट्री के माध्यम से योजनाओं का लाभ किसानों को तो मिलेगा ही साथ ही किसान कृषि वैज्ञानिकों से खेती से संबंधित सलाह भी ले सकेंगे। खेत की मिट्टी और जलवायु के हिसाब से कौन सी फसल बोनी चाहिए, किस किस्म का बीज खरीदना चाहिए और बेहतर पैदावार के लिए कितना खाद, पानी और दवा की जरूरत है, इसकी जानकारी आसानी से की जा सकेगी। किसान रजिस्ट्री के माध्यम से विभिन्न फसलों के संभावित उत्पादन एवं वास्तविक उत्पादन के आंकड़े भी आसानी से जुटाए जा सकेंगे। इसके अलावा कृषि उत्पादों का विपणन भी सुविधा जनक होगा। साथ ही किसानों के लिए किसान ऋण, वित्त सहित अन्य सेवा को सुगमता से कराना संभव होगा।
दो चरणों में होगा कार्य
किसान रजिस्ट्री तैयार करने का कार्य दो चरणों में होगा। पहले चरण में एक से 31 जुलाई तक स्थानीय कार्मिक अभियान चलाकर इसे पूरा करेंगे। दूसरे चरण में एक अगस्त से अवशेष किसानों की रजिस्ट्री की जाएगी। इस कार्य में राजस्व विभाग के लेखपाल, कृषि विभाग तकनीकी सहायक, उद्यान विभाग के कार्मिक का सहयोग लिया जाएगा।