पेपर लीक के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे : राष्ट्रपति


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को कहा कि सरकार पेपर लीक की घटनाओं की जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। राष्ट्रपति ने अभिभाषण में आपातकाल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संविधान पर कई हमलों के बावजूद देश ने असंवैधानिक ताकतों पर विजय पाई है।


18वीं लोकसभा में पहली बार संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में पेपर लीक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार पेपर लीक की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त उपाय कर रही है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सत्तापक्ष के सदस्य देर तक मेज थपथपाते दिखे, वहीं विपक्षी सदस्यों ने नीट-नीट के नारे लगाए। इससे सदन के अंदर शोर बढ़ गया और राष्ट्रपति को सदस्यों से अपनी बात सुनने के लिए आग्रह करना पड़ा।

राष्ट्रपति के करीब 55 मिनट के अभिभाषण के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने 180 बार मेजें थपथपाईं तो विपक्षी सदस्यों ने भी पलटवार का कोई मौका नहीं गंवाया। दोनों पक्षों ने नारों से एक-दूसरे पर तंज कसे। मुर्मु ने कहा कि सरकारी भर्ती हो या परीक्षाएं, किसी भी कारण से इनमें रुकावट उचित नहीं है। इसमें शुचिता और पारदर्शिता जरूरी है। उन्होंने राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर दलगत राजनीति से ऊपर उठने की भी नसीहत की।

आपातकाल काला अध्याय: राष्ट्रपति ने अभिभाषण के दौरान 1975 में लागू आपातकाल को संविधान पर सबसे बड़े हमला और काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि अनेक हमलों के बावजूद देश ने असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त करके दिखाई है। उन्होंने कहा कि सरकार संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम नहीं मानती, बल्कि उसकी कोशिश है कि संविधान हमारी चेतना का हिस्सा बने।

गलत सूचनाओं के प्रति आगाह: मुर्मु ने गलत सूचनाओं के बारे में आगाह करते हुए कहा कि संचार क्रांति के युग में विघटनकारी ताकतें, लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में दरार डालने की साजिश रच रही हैं। यह ताकतें देश के भीतर और बाहर से भी संचालित हो रही हैं। इसे ऐसे ही नहीं चलने दिया जा सकता।

कड़े कदम के संकेत P17

राष्ट्रपति का संसद के दोनों सदनों में संबोधन व्यापक था। इसमें भारत द्वारा की जा रही प्रगति और भविष्य में आने वाली संभावनाओं को शामिल किया गया।

-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

राष्ट्रपति का अभिभाषण विकसित भारत-आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ चले नए भारत की आकांक्षाओं और अभिलाषाओं की सिद्धि के संकल्पों से भरा है।

-योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री

सरकार के लिखे अभिभाषण को सुनकर लगा कि प्रधानमंत्री जनादेश नकारने की कोशिश कर रहे। सरकार राष्ट्रपति से वाहवाही कराना चाह रही, पर जनता उन्हें नकार चुकी है। -मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस अध्यक्ष