यहां शिक्षकों का टोटा, वहां कम पड़ रहे बच्चे


गोरखपुरः परिषदीय स्कूलों में छात्र- शिक्षक अनुपात दुरुस्त न होने से कहीं शिक्षकों का टोटा है तो कहीं पढ़ाने के लिए बच्चे कम पड़ रहे हैं। लंबे समय से चली आ रही इस समस्या को लेकर न तो विभाग गंभीर हैं और न ही अधिकारी। यही वजह है कि लगभग 50 से अधिक विद्यालय सिर्फ एक शिक्षक (एकल) के भरोसे संचालित हो रहे हैं। शिक्षक-छात्र अनुपात में विसंगति की समस्या एक दो नहीं, बल्कि सौ से अधिक विद्यालयों में हैं। कई विद्यालयों में 13 बच्चों के सापेक्ष एक शिक्षक की तैनाती है, तो कुछ ऐसे भी स्कूल हैं जहां शिक्षक पर सौ से सवा सौ बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा है। जबकि, आरटीई के अनुसार पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 35 बच्चों पर एक तथा प्राथमिक विद्यालय में 30 बच्चों पर एक शिक्षक अनिवार्य है।







शिक्षक छात्र अनुपात को लेकर सर्वाधिक विसंगति जनपद के दो ब्लाकों चरगांवा व खोराबार में है। चरगांवा के एक दर्जन से अधिक तथा खोराबार के डेढ़ दर्जन स्कूलों में छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों की संख्या अधिक है। उदाहरण के लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय जंगल हकीम नं. दो में 91 बच्चों पर छह शिक्षकों की तैनाती है। पूर्व माध्यमिक प्राथमिक झरवा, खोराबार में 80 बच्चों को पढ़ाने के लिए छह सहायक अध्यापकों की तैनाती है।


वहीं, कुछ ऐसे विद्यालय है जहां बच्चे ढाई सौ से अधिक हैं और शिक्षक सिर्फ तीन या चार। इनमें प्रमुख रूप से पिपरौली ब्लाक का प्राथमिक महावीर छपरा जहां 255 छात्र पर तीन, पूर्व मा. माल्हनपार क्षेत्र उरुवा में 300 छात्र पर चार शिक्षक हैं। अभी भी यहां चर शिक्षक की आवश्यकता है।