आगरा (दीक्षित टाइम्स)। उत्तर प्रदेश के बेसिक विद्यालयों में शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति 15 जुलाई 2024 से करने के संबंध में महानिदेशक महोदया (स्कूल शिक्षा) ने आदेश जारी किया है। इसके विरोध में शिक्षक संगठन अब आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं।
उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ, उत्तर प्रदेश, के प्रदेश अध्यक्ष श्री योगेश त्यागी ने कहा है कि महानिदेशक महोदया ग्रामीण क्षेत्र के भौतिक वातावरण और शिक्षकों की समस्याओं से शायद परिचित नहीं है। ऑनलाइन व्यवस्था शिक्षकों की सेवा शर्तों के विरुद्ध है। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी नियमावली 1956 तथा बेसिक शिक्षा परिषद नियमावली 1972 अद्यतन - संशोधित 1982 के भी विरुद्ध है। जब प्रदेश के किसी भी विभाग में ऑनलाइन उपस्थिति नहीं है, तो फिर बेसिक शिक्षकों पर नियमावली के विरुद्ध जाकर सौतेला व्यवहार क्यों? अविश्वास क्यों? - परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले 14 वर्ष से - कम आयु के बच्चों की फोटो युक्त उपस्थिति, बाल अधिकार अधिनियम के विरुद्ध है। कानून का उल्लंघन शिक्षकों से कराना चाह रहे हैं। अधिकारी, शिक्षक
क्यों उल्लंघन करें? इस समस्या के
समाधान में किसी भी मांग को पूरा करने की शर्त नहीं। केवल- केवल यह नियम विरुद्ध आदेश रद्द करने की जरूरत है । उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ, इस लड़ाई को 3 सितंबर 1919 से लड़ रहा है। खुलकर प्रेरणा ऐप का बहिष्कार किया है, और मैं आज भी कर रहा हूं। इस संबंध में संगठन की एक रिट माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में विचाराधीन है। जिस पर विभाग ने अब तक प्रति शपथ पत्र नहीं दाखिल किया है। 6 जुलाई 2024 को प्रदेश संगठन की बैठक लखनऊ दारुल शफा में होने जा रही है। उसमें सभी जिलों के अध्यक्ष व महामंत्री प्रतिभाग करेंगे। उसमें अगली रणनीति का निर्णय लिया जाएगा। इस व्यवस्था में बेसिक शिक्षा विभाग के चपरासी से लेकर महानिदेशक तक तथा प्रदेश के राज्य कर्मचारी और अधिकारी सभी को शामिल किया जाए। वह भी अपनी ऑनलाइन उपस्थिति दें। आप निश्चिंत रहें, इस काले आदेश को वापस कराया जाएगा। परंतु निर्भय होकर किसी संगठन के सदस्य हों, जो संगठन निडर होकर ईमानदारी से इस लड़ाई को लड़े, उसके साथ सभी को एक साथ जुटना पड़ेगा। यह लड़ाई हम लड़ेंगे, ऐसा हम आपको भरोसा दिलाता हूं।