इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी के रिटायरमेंट के दो वर्ष पूर्व उसे गृह जनपद में नियुक्ति देने का नियम अधिकारियों पर बाध्यकारी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में एकल न्यायपीठ के उस मत को नहीं माना जिसमें उन्होंने कहा था कि तबादला नीति निर्देशात्मक है, अधिकारियों पर बाध्यकारी नहीं है।
कोर्ट ने कहा तबादला नीति का शासनादेश जारी है तो कर्मचारी को उसका लाभ मिलने की उम्मीद होती है। खंडपीठ ने एकलपीठ और कमिश्नर खाद्य एवं आपूर्ति के आदेशों को रद्द
कर दिया है और कमिश्नर को दो सप्ताह में नए सिरे से याची के प्रत्यावेदन को तय करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में तृतीय श्रेणी कर्मचारी मुरादाबाद के निवासी जितेन्द्र सिंह की विशेष अपील पर दिया है।
याची खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में 1995 मे नियुक्त हुआ। वह फरवरी 25 में रिटायर होने वाला है। सात जून 23 की तबादला नीति के आधार पर उसने गृह जनपद में तबादले की मांग की। शासनादेश के अनुसार सेवानिवृत्ति के दो वर्ष की अवधि में कर्मचारी अपने गृह जनपद में तबादला करा सकता है।
कमिश्नर खाद्य एवं आपूर्ति मुरादाबाद मंडल ने याची की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी की वह 16 फरवरी 1995 से 17 सितंबर 12 तक मुरादाबाद मंडल गृह जनपद में तैनात रहा है। कमिश्नर के आदेश के खिलाफ याचिका एकलपीठ ने तबादला नीति बाध्यकारी न मानते हुए खारिज कर दी जिसे विशेष अपील में चुनौती दी गई थी।