कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने सदस्यों को बड़ी राहत दी है। ईपीएफओ ने ऑनलाइन पीएफ दावे के लिए बैंक पासबुक या चेक की कॉपी को अपलोड करने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। ऐसा होने से दावों को निपटाने में तेजी आएगी।
ईपीएफओ के नए सर्कुलर के मुताबिक, दावों को निपटाने के लिए नई प्रक्रिया अपनाई गई है। इसके तहत जिन ऑनलाइन दावों में बैंक केवाईसी को सत्यापित किया गया है और नियोक्ता की ओर से अन्य सत्यापन दस्तावजों पर डिजिटल तौर पर हस्ताक्षर किए गए होंगे, वहां चेक या बैंक पासबुक की कॉपी अपलोड करना अब आवश्यक नहीं होगा। अभी ज्यादातर मामलों में ऐसा न करने पर दावों को खारिज कर दिया जाता है।
यह छूट केवल उन मामलों में मिलेगी, जहां सदस्य के दूसरे सत्यापन दस्तावेज पूरे होंगे। इनमें संबंधित बैंक या एनपीसीआई द्वारा केवाईसी का ऑनलाइन सत्यापन, डीएससी का उपयोग करके नियोक्ता द्वारा सत्यापन और यूएडीएआई द्वारा सत्यापित आधार संख्या आदि शामिल हैं.
सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को सूचना भेजी
ईपीएफओ ने इस बाबत अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को सूचित कर दिया है। ऐसे मामलों में दावे से जुड़े पीडीएफ फाइल में एक संदेश दिखाई देगा। इसमें लिखा होगा कि बैंक ने केवाईसी को ऑनलाइन सत्यापित किया है और नियोक्ता ने डिजिटल तौर पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। ऐसे दावों की जांच करने वाले अधिकारियों के लिए रंग द्वारा कोडिंग करने की सुविधा जल्द शुरू की जाएगी।
खास बात है कि दावा निपटाने की प्रक्रिया के दौरान ईपीएफओ अधिकारी को वेबसाइट के रंग से यह पता चल जाएगा कि इस मामले में चेक या बैंक पासबुक का फोटो अपलोड करना अनिवार्य है या नहीं है। इसके लिए पहले से ऑनलाइन सत्यापित खातों की पहचान करने के लिए इन्हें हरे रंग से कोड किया जाएगा, जिससे अधिकारी दावे का निपटान जल्दी से कर सकें। यदि खाता सत्यापित नहीं है तो लाल रंग का कोड होगा। ऐसे मामलों में चेक या पासबुक की कॉपी मांगी जा सकती है।
खाते में बदलाव के लिए मानक प्रक्रिया जारी
ईपीएफओ ने ग्राहकों को ऑनलाइन सुधार के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया भी जारी की है। ग्राहक इसके जरिए 10 तरह के बदलाव कर सकते हैं। इनमें सदस्य का नाम, लिंग, जन्म तिथि, पिता या माता का नाम, रिश्ता, वैवाहिक स्थिति, जुड़ने की तिथि, नौकरी छोड़ने का कारण, नौकरी छोड़ने की तिथि, राष्ट्रीयता और आधार शामिल हैं।
● ऑनलाइन बैंक केवाईसी की मदद से सत्यापन किया जाएगा।
● नियोक्ता डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र का उपयोग करके बैंक खाते का ब्योरा जांचेगा।
● फिर यह भी जांचा जाएगा कि दावा करने वाले सदस्य आधार सत्यापित है या नही।