वोटिंग खत्म होते ही देश की जनता को टोल टैक्स का बड़ा झटका लगा है. पूरे देश में टोल टैक्स को 5 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है. नया शुल्क आज यानी की 3 जून से लागू हो जाएगा. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बताया कि इसे पहले ही लागू किया जाना था, लेकिन चुनाव को देखते हुए इसे टाल दिया था.
एनएचआई ने टोल टैक्स की दरों में पांच से 25 रुपये तक की बढ़ोत्तरी की है। इसके चलते टोल से गुजरने वाली रोडवेज बसों का सफर भी महंगा हो गया। बस के किराये में एक रुपये से तीन रुपये तक बढ़ोतरी की गई है। परिवहन निगम के पीआरओ अजीत सिंह ने बताया कि बढ़ा किराया बीती रात 12 बजे से लागू हो गया। नई दरें ईटीएम मशीन में दर्ज करा दी गई है ताकि सफर के दौरान यात्री और बस कंडक्टर के बीच किराये को लेकर कहासुनी न होने पाए। विभिन्न बस
अड्डों से रवाना होने वाली साधारण बसों का नया किराया तयकर दिया गया।
NHAI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नई दरें 3 जून 2024 से लागू होंगी. उन्होंने बताया कि टोल फीस को संशोधित करना सालाना कवायद का हिस्सा है, जो होलसेल प्राइस इंडेक्स के आधार पर मुद्रास्फीति में परिवर्तन से जुड़ी हैं. उन्होंने बताया कि नेशनल हाईवे नेटवर्क पर लगभग 855 यूजर फीस बेस्ड प्लाजा हैं, जिन पर राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम 2008 के अनुसार यूजर फीस ली जाती है. इनमें से लगभग 675 पब्लिक फंडेड हैं और 180 रियायतकर्ताओं (Concessionaires) द्वारा संचालित किए जाते हैं.
टोल दरों में तीन से पांच फीसदी की बढ़ोतरी
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार यानी 3 जून 2024 से टोल दरों में 3 से 5 फीसदी की बढ़ोतरी लागू हो गई है. अधिकारी ने कहा कि चुनावों के दौरान उपयोगकर्ता शुल्क (टोल) दरों में संशोधन को टाल दिया गया था, लेकिन अब चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो गई है, लिहाजा ये दरें 3 जून से प्रभावी हो जाएंगी.
वार्षिक वृद्धि का विरोध करते रहे हैं मोटर चालक
बता दें कि टोल टैक्स एक ऐसा शुल्क है जो वाहन चालकों को कुछ इंटरस्टेट एक्सप्रेस वे, नेशनल और स्टेट हाईवे को पार करते समय देना पड़ता है. ये भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के तहत आते हैं. हालांकि, दोपहिया वाहन चालकों को टोल शुल्क का भुगतान करने से छूट दी गई है. विपक्षी दल और कई मोटर चालक टोल के रेट में होने वाली वार्षिक वृद्धि का विरोध करते आए हैं, उनका कहना है कि इससे आवश्यक वस्तुओं की परिवहन लागत बढ़ जाती है और यात्रियों पर बोझ पड़ता है.