यूपी विधान परिषद उपचुनाव 12 जुलाई को



स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई है सीट,इंडिया गठबंधन भी उतार सकता है उम्मीदवार

लखनऊ, विशेष संवाददाता। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की एक रिक्त सीट पर उपचुनाव आगामी 12 जुलाई को होगा। केन्द्रीय चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश सहित कर्नाटक, बिहार और आन्ध्र प्रदेश विधान परिषद की एक-एक रिक्त सीट पर उपचुनाव का कार्यक्रम मंगलवार को जारी किया।



उत्तर प्रदेश विधान परिषद की यह सीट स्वामी प्रसाद मौर्य के त्यागपत्र की वजह से रिक्त हुई है। मौर्य ने इस साल 20 फरवरी को सपा नेतृत्व से नाराजगी के चलते विधान परिषद के साथ ही सपा की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी थी। वैसे उनका विधान परिषद का कार्यकाल छह जुलाई 2028 तक का था।


चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार इस उपचुनाव के लिए अधिसूचना 25 जून को जारी की जाएगी। उसी दिन से नामांकन प्रक्रिया शुरु होगी जो दो जुलाई तक चलेगी। तीन जुलाई को नामांकन पत्रों की जांच होगी। पांच जुलाई नामांकन वापसी की आखिरी तारीख है। अगर एक से अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किये तो 12 जुलाई को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा। मतदान के बाद उसी दिन मतगणना के बाद परिणाम घोषित होगा।


इस चुनाव में मतदान विधान सभा के सदस्य यानि एमएलए करेंगे। चूंकि प्रदेश विधान सभा में भाजपा और उनके सहयोगी दलों सुभासपा, अपना दल एस, रालोद को मिलाकर राजद के विधायकों की संख्या ज्यादा है इसलिए माना जा रहा है कि विधान परिषद की उक्त रिक्त सीट पर भाजपा या राजग का ही प्रत्याशी जीतेगा। लेकिन सपा-कांग्रेस के इंडिया गठबंधन से भी उम्मीदवार खड़ा किये जाने के पूरे आसार हैं। यह सीट सपा कोटे की थी इसलिए सपा अपनी इस सीट को अपने पास बचाने की पूरी कोशिश भी करेगी।



सपा के बागी विधायकों पर रहेगी नजर


इस चुनाव में सपा के उन बागी विधायकों के रुख पर खास नजर रहेगी। इसी साल राज्यसभा चुनाव में सपा के मनोज पांडेय समेत छह विधायकों ने भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में क्रास वोटिंग की थी। इस कारण सपा का तीसरा प्रत्याशी चुनाव हार गया। लोकसभा चुनाव के बाद हालांकि बागी विधायकों में कई सपा में वापसी की राह खोज रहे हैं लेकिन सपा नेतृत्व उन पर वापसी के मूड में नही है। बल्कि उनकी सदस्यता खत्म कराने की तैयारी में है। वैसे भी सपा का संख्या बल इतना नहीं कि वह आमने सामने के चुनाव में भाजपा को हरा दे।