शिक्षकों को मिलने वाली गर्मी की छुट्टियां उनके लिए अभिशाप बन गई हैं।
इन छुट्टियों से शिक्षकों की आवश्यकताएं भी पूरी नहीं होती बेवजह घर बैठ कर या फिर भीड़ में घूम कर किसी तरह समय कटता है, जरूरत के समय एक एक छुट्टी के लिए शिक्षक परेशान होता है।
क्या है छुट्टियों की सच्चाई–
अन्य विभाग में मिलने वाली छुट्टियां–
14 CL
34 EL (इसमें साप्ताहिक छुटिया नहीं जुड़ी हैं जब चाहे लें और जहां चाहे जाएं)
कुल 48, जिसे कर्मचारी अपनी सुविधा अनुसार ले सकता है, अगर बच गई तो वो अगले वर्ष जुड़ जाती हैं और अगर आप इसे नहीं लेते तो हर छुट्टी के बदले विभाग आपको उतने दिन की सैलरी देता है।
शिक्षकों को मिलने वाली छुट्टियां–
14 CL
40 दिन गर्मी और सर्दी की मिला कर (जिसमें लगभग 7 रविवार और 2/3 अन्य छुट्टियां भी होती है अतः कुल मिलाकर 30 के आस पास ही मिल पाती है)
कुल 44 (जिसे उसी वर्ष हर हाल खर्च करना होता है बच गई तो अगले वर्ष नहीं जुड़ेगी)
और हल्ला सिर्फ शिक्षकों की छुट्टियों का मचता है जबकि वास्तविक ये है की इन्हें अन्य से कम मिलती है वो भी गलत समय पर। जिसे देखो बोलता है शिक्षकों के मजे है महीने भर की छुट्टी।
और सच्चाई सुनिए
लगभग हर वर्ष का नियम है इन गर्मी की छुट्टियों में
कभी मीटिंग
कभी समर कैंप
कभी विशेष क्लास
जैसे कार्यों के नाम पर स्कूल खोलने के आदेश देखे जा सकते हैं।
इस बार तो चुनाव में आधे से ज़्यादा छुट्टियां गई।
दुर्भाग्य देखिए छुट्टियों में लिए जाने वाले कार्य के बदले कोई प्रतिकार अवकाश भी नहीं।
मुझे लगता है की अब शिक्षकों को खुद ही गर्मी के मिलने वाली छुट्टियों का बहिष्कार करना चाहिए और बदले में EL की मांग करनी चाहिए।
और गर्मी की छुट्टियों में खूब समर कैंप चले, स्कूल चलो अभियान चले, ट्रेनिंग चले और भी तमाम कार्य कराए जा सकते हैं।
सबके पास EL रहे जब ज़रूरत हो तब लें शिक्षक भी खुश, मीडिया भी खुश, समाज भी खुश।