प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ) 2022 की भर्ती में रिक्त रह गए 30 पदों को भरने के संबंध में शीघ्रता से निर्णय ले। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में अभियोजन अधिकारियों की कमी है जिसकी वजह से न्यायिक प्रक्रिया के सुचारू संचालन में कठिनाई आ रही है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार इस मामले में छह सप्ताह में निर्णय ले। विकास सिंह और 21 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए या आदेश न्यायमूर्ति एस डी सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने दिया है।
याचीगण का कहना था कि वह 2022 में एपीओ के 69 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ। जिसका परिणाम 21 जून 2023 को जारी किया गया। चयनित अभ्यर्थियों में से 24 अभ्यर्थी ऐसे थे जिनका पीसीएस जे में भी चयन हो गया। इसलिए उन्होंने ज्वाइन नहीं किया तथा यह पद पुन रिक्त हो गए। बाद में रिक्त पदों की संख्या 30 हो गई। याचीगण का कहना था कि वह भी एपीओ परीक्षा में शामिल हुए थे। मगर मेरिट में नीचे रह जाने के कारण उनका चयन नहीं हो सका था । मांग की गई कि इन रिक्त पदों को भरने के लिए प्रतीक्षा सूची जारी की जाए। क्योंकि ठीक इसी प्रकार के मामले में 2015 में रिक्त पदों को मेरिट में नीचे रह गए अभ्यर्थियों से बाद में भर गया था। इसी समानता के आधार पर इस बार भी रिक्त पदों को मेरिट में नीचे रह गए अभ्यार्थियों की प्रतीक्षा सूची जारी कर भरा जाए।
कोर्ट ने कहा कि सरकार भी इस बात को लेकर सचेत है कि प्रदेश में अभियोजन अधिकारियों की कमी है। तथा कुल 580 पदों में से 178 पद अब भी रिक्त है। मुकदमों के भारी दबाव को देखते हुए न्यायिक कार्य के सुचारू संचालन हेतु पदों को भर जाना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि 2015 में सरकार इस संबंध में नीतिगत निर्णय ले चुकी है। इसलिए इसी समानता के आधार पर याचियों के मामले में भी निर्णय लिया जाए। कोर्ट ने याचीगण से कहा है कि वह इस आदेश की प्रति के साथ अपना प्रत्यावेदन सरकार और लोक सेवा आयोग को दें तथा सरकार इस पर 6 सप्ताह में कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को मद्देनजर रखते हुए निर्णय ले।